अर्ध चन्द्रासन
अर्ध चन्द्रासन जैसा कि नाम से पता चल रहा है, इस आसन में शरीर को अर्ध चन्द्र के आकार में घुमाया जाता है। इसको भी खड़े रहकर किया जाता है। यह आसन पूरे शरीर के लिए लाभप्रद है।
भुजंग आसन
भुजंग आसन का रोज अभ्यास से कमर की परेशानियां दूर होती हैं। ये आसन पीठ और मेरूदंड के लिए लाभकारी होता है।
बाल आसन
बाल आसन से तनाव दूर होता है। शरीर को संतुलिच और रक्त संचार को सामान्य बनाने के लिए इस आसन को किया जाता है।
मर्जरियासन
बिल्ली को मार्जर भी कहते हैं, इसलिए इसे मर्जरियासन कहते हैं। यह योग आसन शरीर को उर्जावान और सक्रिय बनाये रखने के लिए बहुत फायदेमंद है। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में खिंचाव होता है जो शरीर को लचीला बनाता है।
नटराज आसन
नटराज आसन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इय योग से कंधे मजबूत होते हैं साथ ही बाहें और पैर भी मजबूत होते हैं। जिनको लगातार बैठकर काम करना होता है उनके लिए नटराज आसन बहुत ही फायदेमंद है।
गोमुख आसन
गोमुख आसन शरीर को सुडौल बनाने वाला योग है। योग की इस मुद्रा को बैठकर किया जाता है। गोमुख आसन स्त्रियों के लिए बहुत ही लाभप्रद व्यायाम है।
हलासन
हलासन के रोज अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है। वृद्धावस्था में हड्डियों की कई प्रकार की परेशानियां हो जाती हैं। यह आसन पेट के रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
सेतु बांध आसन
सेतु बांध आसन पेट की मांसपेशियों और जंघों के एक अच्छा व्यायाम है। जब आप इस योग का अभ्यास करते है तो शरीर में उर्जा का संचार होता है।
रॉकिंग चेयर योग
रॉकिंग चेयर योग करने से रीढ़ की हड्डियों में ऊर्जा का संचार होता है साथ ही शरीर में रक्त का संचार तेज गति होता है।
सुखासन
सुखासन बैठकर किया जाने वाला योग है। ये योग मन को शांति प्रदान करने वाला योग है। इस योग के दौरान नाक से सांस लेना और छोड़ना होता है।
नमस्कार आसन
नमस्कार आसन किसी भी आसन की शुरुआत में किया जाता है। ये काफी सरल है।
ताड़ासन
ताड़ासन के अभ्यास से शरीर सुडौल रहता है और इससे शरीर में संतुलन और दृढ़ता आती है।
रोज त्रिकोण मुद्रा
रोज त्रिकोण मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर का तनाव दूर होता है और शरीर में लचीलापन आता है।
कोणासन
कोणासन बैठकर किया जाता है। कमर, रीढ़ की हड्डियां, छाती और कुल्हे इस योग मुद्रा में विशेष रूप से भाग लेते है। इन अंगों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए इस योग को किया जाता है।
उष्टासन
उष्टासन यानी उंट के समान मुद्रा। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर की उंट की जरह दिखता है। इसलिए इसे उष्टासन कहते हैं। उष्टासन शरीर के अगले भाग को लचीला एवं मजबूत बनाता है। इस आसन से छाती फैलती है जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
वज्रासन
वज्रासन बैठकर किया जाना जाने वाला योग है। शरीर को सुडौल बनाने के लिए किया जाता है। अगर आपको पीठ और कमर दर्द की समस्या हो तो ये आसन काफी लाभदायक होगा।
वृक्षासन
वृक्षासन का मतलब है वृक्ष की मुद्रा मे आसन करना। इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। इसके अभ्यास से तनाव दूर होता है और पैरों एवं टखनों में लचीलापन लाता है।
दंडासन
बैठकर किये जाने वाले योगों में एक है दंडासन। इस योग की मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से हिप्स और पेडू में मौजूद तनाव दूर होता है और इनमें लचीलापन आता है।
अधोमुखी श्वान आसन
अधोमुखी का मतलब होता है नीचे की ओर सिर झुकाना। इस आसन में कुत्ते की तरह सिर को नीचे झुकाकर योग किया जाता है। इसलिए इसे अधोमुखी श्वान आसन कहा जाता है। आसन मुद्रा मेरूदंड को सीधा बनाये रखने में सहायक होता है। यह पैरों की मांसपेशियों के लिए अच्छा व्यायाम है।
शवासन
इस आसन को मरे शरीर जैसे निष्क्रिय होकर किया जाता है इसलिए इसे शवासन कहा जाता है। थकान एवं मानसिक परेशानी की स्थिति में यह आसन शरीर और मन को नई ऊर्जा देता है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए भी यह आसन बहुत अच्छा होता है।
उत्कट आसन
उत्कट आसन से शरीर के नीचले हिस्से कमर, घुटने एवं पैरो में मजबूती आती है। योग की इस मुद्रा से रीढ की हड्डियों को भी लाभ पहुंचता है।
अनुलोम-विलोम
योग विधि :
अनुलोम-विलोम योग करने के लिए एक शांत स्थान पर साधारण रूप से बैठ जाए फिर उसके बाद अपने दाएं हाथ के अगुठे से अपनी दाएं नाक का छिद्र को बंद करे और बाए छिद्र से सांस को अंदर की और भरे और फिर उसको अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें।
उसके उपरान्त दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दो और दायीं नाक से सांस को बाहर निकालिये।
फिर दायीं नाक से ही सांस को 4 -5 की गिनती तक अंदर को भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नाक खोलकर सांस को 8 -9 की गिनती में बाहर निकल लीजिये। इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर रोजाना करे।
लाभ :
शांति प्रदान करके तनाव कम करता है। आखो की रोशनी बढ़ाता है और रक्त संचालन सही रहता है।अनिद्रा की समस्या में यह प्राणायाम लाभदायक है। मस्तिष्क में होनी वाली समस्याओं को दूर करने में भी लाभदायक है।
फेफड़े मजबूत होते है। सर्दी, जुकाम व दमा की बीमारियो को काफी हद तक दूर करता है।हृदय को स्वस्थ रखता है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
एनीमिया से पीड़ित रोगीयो और कमजोर व्यकति इस योग के दौरान सांस लेने और सांस निकालने की गिनती को 4 -4 ही रखें। 4 गिनती में सांस का लेना तो 4 गिनती में ही सांस को बाहर छोरना है। कुछ व्यकति समया काम होने के कारण सांस लेने और सांस निकालने का अनुपात 1:2 नहीं रखते। वे बहुत तेजी से और जल्दी-जल्दी सांस लेते और निकालते है। इससे आस पास हवा में मौजूद धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर कई प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है।
मंडूकासन Frog Pose
योग विधि :
मंडूकासन के लिए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं फिर एडिय़ों को फैलाकर दोनों पंजों को मिलाकर उस पर बैठ जाइये। दोनों हाथों के अंगूठों को अंदर करके मुटठी बांध लें और मुटठी को एक-दूसरे से सटाकर नाभि के पास रखिये उसके बाद अब सांस अंदर खींचकर शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। फिर सांस को छोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाते हुए छाती को घुटनों से लगाएं। इसके बाद फिर सांस लेते हुए शरीर को वापिस पहले वाली स्थिति में ले आएं। फिर कुछ देर रुककर सांस को छोड़ते हुए फिर से छाती को घुटनों से लगाएं। इस क्रिया को 3-4 बार करें।
योग के लाभ :
पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है। कब्ज, गैस, अफारा, भूख न लगना, अपच, भोजन का पाचन ठीक न होना आदि विकारों को दूर करता है। आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, पित्तकोष, पेन्क्रियाज, मलाशय, लिवर, प्रजनन अंगों और किडनी आदि सभी अंगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन न करें। स्लिप डिस्क, ऑस्टियोपॉरोसिस और कमर दर्द के रोगी यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करें।
कपालभाती Kapalbhati
शांत और खुले स्वछ वतावरण में बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया को करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना होता। ध्यान रखें कि सॉस अंदर नहीं लेना है क्योंकि उस क्रिया में सॉस स्वत: ही अंदर को चली जाती है।
योग के लाभ :
वजन कम और पेट की चर्बी को भी काम करता है। चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे के कालेपन दूर करके चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है। गैस, कब्ज और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है। शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को दूर कर देता है। स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।
कफ विकार नष्ट करता है और श्वासनली की सफाई अच्छे से हो जाती है। रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद होती है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
कपालभाती सुबह के समय खाली पेट, पेट साफ़ होने के बाद ही करना चाहिए। अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के कम से कम 5 घंटे बाद इसे करे। कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए थोड़ा पानी ले सकते है। गर्भवती महिला, गैस्ट्रिक अलसर , एपिलेप्सी, हर्निया के मरीज इस क्रिया को न करे।
मकरासन Crocodile Pose
पेट के बल लेट जाइए फिर दोनों पैरों को मिलाकर अपने कंधे और सिर को उठाइए और दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। उसके बाद उंगलियों को गाल के साथ लगाकर रखिए.
योग के लाभ :
कमर दर्द में रामबाण का काम करता है मकरासन | इस आसन से साइटिका और गर्दन के दर्द में राहत मिलती है | इस आसन से फेफड़ों की बीमारी एवं दमा रोग से ग्रस्त व्यक्ति को लाभ मिलता है | यह आसन पेट की चर्बी को कम काम होती है तथा कब्ज भी दूर करता है | आँतों की विधिवत मालिश इस आसन से हो जाती है |
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
खाली पेट ही इस आसन को करना चाहिए | इस आसन को हर्निया की शिकायत होने पर न करे। यह आसन करने के बाद कुछ समय पीठ के बल लेटकर के लिए शवासन अवश्य करे।
अर्ध चन्द्रासन जैसा कि नाम से पता चल रहा है, इस आसन में शरीर को अर्ध चन्द्र के आकार में घुमाया जाता है। इसको भी खड़े रहकर किया जाता है। यह आसन पूरे शरीर के लिए लाभप्रद है।
भुजंग आसन
भुजंग आसन का रोज अभ्यास से कमर की परेशानियां दूर होती हैं। ये आसन पीठ और मेरूदंड के लिए लाभकारी होता है।
बाल आसन
बाल आसन से तनाव दूर होता है। शरीर को संतुलिच और रक्त संचार को सामान्य बनाने के लिए इस आसन को किया जाता है।
मर्जरियासन
बिल्ली को मार्जर भी कहते हैं, इसलिए इसे मर्जरियासन कहते हैं। यह योग आसन शरीर को उर्जावान और सक्रिय बनाये रखने के लिए बहुत फायदेमंद है। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में खिंचाव होता है जो शरीर को लचीला बनाता है।
नटराज आसन
नटराज आसन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इय योग से कंधे मजबूत होते हैं साथ ही बाहें और पैर भी मजबूत होते हैं। जिनको लगातार बैठकर काम करना होता है उनके लिए नटराज आसन बहुत ही फायदेमंद है।
गोमुख आसन
गोमुख आसन शरीर को सुडौल बनाने वाला योग है। योग की इस मुद्रा को बैठकर किया जाता है। गोमुख आसन स्त्रियों के लिए बहुत ही लाभप्रद व्यायाम है।
हलासन
हलासन के रोज अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है। वृद्धावस्था में हड्डियों की कई प्रकार की परेशानियां हो जाती हैं। यह आसन पेट के रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।
सेतु बांध आसन
सेतु बांध आसन पेट की मांसपेशियों और जंघों के एक अच्छा व्यायाम है। जब आप इस योग का अभ्यास करते है तो शरीर में उर्जा का संचार होता है।
रॉकिंग चेयर योग
रॉकिंग चेयर योग करने से रीढ़ की हड्डियों में ऊर्जा का संचार होता है साथ ही शरीर में रक्त का संचार तेज गति होता है।
सुखासन
सुखासन बैठकर किया जाने वाला योग है। ये योग मन को शांति प्रदान करने वाला योग है। इस योग के दौरान नाक से सांस लेना और छोड़ना होता है।
नमस्कार आसन
नमस्कार आसन किसी भी आसन की शुरुआत में किया जाता है। ये काफी सरल है।
ताड़ासन
ताड़ासन के अभ्यास से शरीर सुडौल रहता है और इससे शरीर में संतुलन और दृढ़ता आती है।
रोज त्रिकोण मुद्रा
रोज त्रिकोण मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर का तनाव दूर होता है और शरीर में लचीलापन आता है।
कोणासन
कोणासन बैठकर किया जाता है। कमर, रीढ़ की हड्डियां, छाती और कुल्हे इस योग मुद्रा में विशेष रूप से भाग लेते है। इन अंगों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए इस योग को किया जाता है।
उष्टासन
उष्टासन यानी उंट के समान मुद्रा। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर की उंट की जरह दिखता है। इसलिए इसे उष्टासन कहते हैं। उष्टासन शरीर के अगले भाग को लचीला एवं मजबूत बनाता है। इस आसन से छाती फैलती है जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
वज्रासन
वज्रासन बैठकर किया जाना जाने वाला योग है। शरीर को सुडौल बनाने के लिए किया जाता है। अगर आपको पीठ और कमर दर्द की समस्या हो तो ये आसन काफी लाभदायक होगा।
वृक्षासन
वृक्षासन का मतलब है वृक्ष की मुद्रा मे आसन करना। इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। इसके अभ्यास से तनाव दूर होता है और पैरों एवं टखनों में लचीलापन लाता है।
दंडासन
बैठकर किये जाने वाले योगों में एक है दंडासन। इस योग की मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से हिप्स और पेडू में मौजूद तनाव दूर होता है और इनमें लचीलापन आता है।
अधोमुखी श्वान आसन
अधोमुखी का मतलब होता है नीचे की ओर सिर झुकाना। इस आसन में कुत्ते की तरह सिर को नीचे झुकाकर योग किया जाता है। इसलिए इसे अधोमुखी श्वान आसन कहा जाता है। आसन मुद्रा मेरूदंड को सीधा बनाये रखने में सहायक होता है। यह पैरों की मांसपेशियों के लिए अच्छा व्यायाम है।
शवासन
इस आसन को मरे शरीर जैसे निष्क्रिय होकर किया जाता है इसलिए इसे शवासन कहा जाता है। थकान एवं मानसिक परेशानी की स्थिति में यह आसन शरीर और मन को नई ऊर्जा देता है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए भी यह आसन बहुत अच्छा होता है।
उत्कट आसन
उत्कट आसन से शरीर के नीचले हिस्से कमर, घुटने एवं पैरो में मजबूती आती है। योग की इस मुद्रा से रीढ की हड्डियों को भी लाभ पहुंचता है।
अनुलोम-विलोम
योग विधि :
अनुलोम-विलोम योग करने के लिए एक शांत स्थान पर साधारण रूप से बैठ जाए फिर उसके बाद अपने दाएं हाथ के अगुठे से अपनी दाएं नाक का छिद्र को बंद करे और बाए छिद्र से सांस को अंदर की और भरे और फिर उसको अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें।
उसके उपरान्त दाहिनी नाक से अंगूठे को हटा दो और दायीं नाक से सांस को बाहर निकालिये।
फिर दायीं नाक से ही सांस को 4 -5 की गिनती तक अंदर को भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नाक खोलकर सांस को 8 -9 की गिनती में बाहर निकल लीजिये। इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर रोजाना करे।
लाभ :
शांति प्रदान करके तनाव कम करता है। आखो की रोशनी बढ़ाता है और रक्त संचालन सही रहता है।अनिद्रा की समस्या में यह प्राणायाम लाभदायक है। मस्तिष्क में होनी वाली समस्याओं को दूर करने में भी लाभदायक है।
फेफड़े मजबूत होते है। सर्दी, जुकाम व दमा की बीमारियो को काफी हद तक दूर करता है।हृदय को स्वस्थ रखता है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
एनीमिया से पीड़ित रोगीयो और कमजोर व्यकति इस योग के दौरान सांस लेने और सांस निकालने की गिनती को 4 -4 ही रखें। 4 गिनती में सांस का लेना तो 4 गिनती में ही सांस को बाहर छोरना है। कुछ व्यकति समया काम होने के कारण सांस लेने और सांस निकालने का अनुपात 1:2 नहीं रखते। वे बहुत तेजी से और जल्दी-जल्दी सांस लेते और निकालते है। इससे आस पास हवा में मौजूद धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर कई प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है।
मंडूकासन Frog Pose
योग विधि :
मंडूकासन के लिए दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं फिर एडिय़ों को फैलाकर दोनों पंजों को मिलाकर उस पर बैठ जाइये। दोनों हाथों के अंगूठों को अंदर करके मुटठी बांध लें और मुटठी को एक-दूसरे से सटाकर नाभि के पास रखिये उसके बाद अब सांस अंदर खींचकर शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। फिर सांस को छोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाते हुए छाती को घुटनों से लगाएं। इसके बाद फिर सांस लेते हुए शरीर को वापिस पहले वाली स्थिति में ले आएं। फिर कुछ देर रुककर सांस को छोड़ते हुए फिर से छाती को घुटनों से लगाएं। इस क्रिया को 3-4 बार करें।
योग के लाभ :
पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है। कब्ज, गैस, अफारा, भूख न लगना, अपच, भोजन का पाचन ठीक न होना आदि विकारों को दूर करता है। आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, पित्तकोष, पेन्क्रियाज, मलाशय, लिवर, प्रजनन अंगों और किडनी आदि सभी अंगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन न करें। स्लिप डिस्क, ऑस्टियोपॉरोसिस और कमर दर्द के रोगी यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करें।
कपालभाती Kapalbhati
शांत और खुले स्वछ वतावरण में बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया को करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना होता। ध्यान रखें कि सॉस अंदर नहीं लेना है क्योंकि उस क्रिया में सॉस स्वत: ही अंदर को चली जाती है।
योग के लाभ :
वजन कम और पेट की चर्बी को भी काम करता है। चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे के कालेपन दूर करके चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है। गैस, कब्ज और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है। शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को दूर कर देता है। स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।
कफ विकार नष्ट करता है और श्वासनली की सफाई अच्छे से हो जाती है। रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद होती है।
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
कपालभाती सुबह के समय खाली पेट, पेट साफ़ होने के बाद ही करना चाहिए। अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के कम से कम 5 घंटे बाद इसे करे। कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए थोड़ा पानी ले सकते है। गर्भवती महिला, गैस्ट्रिक अलसर , एपिलेप्सी, हर्निया के मरीज इस क्रिया को न करे।
मकरासन Crocodile Pose
पेट के बल लेट जाइए फिर दोनों पैरों को मिलाकर अपने कंधे और सिर को उठाइए और दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। उसके बाद उंगलियों को गाल के साथ लगाकर रखिए.
योग के लाभ :
कमर दर्द में रामबाण का काम करता है मकरासन | इस आसन से साइटिका और गर्दन के दर्द में राहत मिलती है | इस आसन से फेफड़ों की बीमारी एवं दमा रोग से ग्रस्त व्यक्ति को लाभ मिलता है | यह आसन पेट की चर्बी को कम काम होती है तथा कब्ज भी दूर करता है | आँतों की विधिवत मालिश इस आसन से हो जाती है |
ध्यान देने योग्य सावधानियां:
खाली पेट ही इस आसन को करना चाहिए | इस आसन को हर्निया की शिकायत होने पर न करे। यह आसन करने के बाद कुछ समय पीठ के बल लेटकर के लिए शवासन अवश्य करे।
Yoga now a day is considered as a trend but yoga is not only a trend it is above than that because it is really very needful for your health. Many people are getting Yoga Teacher Training Course so that they can aware other people too. So visit our website to know more.
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