तेजी से पेट कम करने के ये हैं जबरदस्‍त उपाए


  • सेहत के साथ लुक को भी बिगाड़ती है पेट पर जमा चर्बी।   
  • खाने के अन्‍त में पानी पीना पेट निकलने की मुख्‍य वजहों में से एक।   
  • 25 फीसदी कैलोरीज बर्न होती है नियमित रूप से सैर पर जाने से।
  • तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन्स रिलीज होता हैं नींद पूरी न होने पर।



लोगों को सेहतमंद व फिट रखने में उनके आहर की अहम भूमिका होती है। व्यस्त दिनचर्या के कारण लोगों की शारीरिक गतिविधि दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है जिसकी वजह से ली गई कैलोरी फैट में तब्दील होकर आपके पेट के आस-पास के हिस्सों में नजर आने लगती है।


अक्सर लोग वजन कम करने में लगे रहते हैं। लेकिन सबसे अधिक जो समस्या आती है वो है पेट के आसपास की चर्बी को हटाना। क्या आप जानते हैं कुछ लोग मोटे नहीं होते लेकिन उनके पेट के आसपास काफी चर्बी जमा हो जाती है। पेट पर जमा फैट ना सिर्फ आपकी सेहत बिगाड़ता है बल्कि यह आपके लुक को भी खराब करता है। जानिए हमारे साथ पेट पर जमा चर्बी को कम करने के आसान व असरकारी उपायों के बारे में और फर्क देखिए-


खाने के बाद पानी पीने से बचें

अक्सर देखा गया है कि खाना खाने के बाद लोग ढेर सारा पानी पी लेते हैं जो कि पेट निकलने की मुख्य वजहों में से एक है। खाने के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। अगर आपको ज्यादा प्यास लग रही है तो खाने के बाद बस एक कप हल्का गुनगुना पीएं।

थोड़ा-थोड़ा करके खाएं

तीन टाइम खाने की जगह थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाएं। हर दो घंटे में कुछ ना कुछ खाते रहें। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म तो ठीक रहता ही है साथ ही ऊर्जा का स्तर भी बना रहता है। खाने में प्रोटीन की मात्रा बढाएं। ये पचने में ज्यादा समय लेते हैं और पेट देर तक भरा रहता है। अंडे का सफेद भाग, फैट फ्री दूध व दही, ग्रिल्ड फिश और सब्जियां आपको स्लिम व फिट बनाएंगी।

शहद है फायदेमंद

जैसा कि हम सब जानते हैं शहद गुणों की खान है। यह मोटापा कम करने में भी कारगार है। रोजाना सुबह गुनगुने पानी में शहद मिलाकर पीएं। नियमित रुप से इस प्रक्रिया को अपनाने से आपको जल्द ही असर दिखाई देने लगेगा।


ग्रीन टी पियें

अगर आप चाय पीने के बहुत शौकीन हैं, तो आप दूध की चाय पीने के बजाय एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर ग्रीन टी, या फिर ब्लैक टी पियें। इसमें थायनाइन नामक अमीनो एसिड होता है जो मस्तिष्क में ऐसे केमिकल्स का स्त्राव करता है और आपकी भूख पर कंट्रोल करता है।

मॉर्निग वॉक करें फिट रहें

रोजाना सुबह सैर पर जाएं और रात के खाने के बाद भी सैर करना ना भूलें। इससे पेट और कमर की अतिरिक्त कैलोरी कम करने में मदद मिलेगी। क्‍योंकि नियमित रूप से सैर पर जाने से 25 फीसदी कैलोरीज बर्न होती है। पेट जल्दी कम करना है तो तीस मिनट के वॉक सेशन रखें। लगातार स्पीड से ना चल सके तो बीच में इंटरवल लें। थोड़ी देर तेजी से चलें और फिर स्पीड कम कर लें।

उपवास करें

यदि आप खाने-पीने के बहुत शौकीन हैं और अपनी इस आदत से भी परेशान हैं, तो इसका सबसे आसान तरिका ये है कि आप सप्ताह में कम से कम एक बार उपवास जरूर करें। आप चाहे तो सप्ताह में एक दिन तरल पदार्थों पर भी रह सकते हैं, जैसे- पानी, नींबू पानी, दूध, जूस, सूप इत्यादि या किसी दिन सिर्फ सलाद या फल भी ले सकते हैं।

खान-पान का रखें खयाल

यदि आप जंकफूड खूब खाते हैं या फिर आपको तैलीय खाना बहुत पसंद है तो अब इनसे परहेज करना शुरू कर दें। खाने में खासतौर पर सामान्य आटे के बजाय जौ और चने के आटे को मिलाकर चपाती खांए, इससे आप जल्द ही स्लिम ट्रि‍म होंगे। रोजाना कुछ ग्राम बादाम खाने से कमर की साइज 24 सप्ताह में साढ़े छह इंच कम हो सकती है। तो आज से ही तय करें कि रोजाना सौ ग्राम नट्स अपनी डाइट में जरूर से शामिल करेंगे। यह कैलोरी से भरपूर होने के साथ ही फाइबर युक्त भी होते हैं। भोजन में संतुलित कैलोरीज लें। आपको दिनभर में कम से कम 2000 कैलोरी जरूर ले।

नींद पूरी करें

संतुलित आहार व व्यायम के साथ पर्याप्त नींद लेना भी जरूरी है। नींद पूरी ना होने पर तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन्स रिलीज होते हैं जो आपको खाने के लिए प्रेरित करते है जिससे पेट की चर्बी भी बढ़ती है। रात में 6 से 7 घंटे सोने वाले लोगों में पेट का फैट कम होता है। इससे ज्यादा या कम नींद लेने वाले लोगों को तोंद की समस्या ज्‍यादा होती है।


योगासन है जरूरी 

कमर और पेट कम करने के लिए आप नियमित रूप से सुबह उठकर योग करें। वैसे भी आप योग से निरोग रह सकते है। लेकिन खासकर आप ऐसे आसनों को करें जिनसे आपके पेट और कमर को कम करने में मदद मिलें। रोजाना सूर्य नमस्कार की सभी क्रियाएं, सर्वांगासन, भुजंगासन, वज्रासन, पदमासन, शलभासन इत्यादि को करें।


बॉल एक्‍सरसाइज करें

जमीन पर पीठ के बल सीधा लेट जाएं। अब हाथों पर एक्‍सरसाइज वाली बडी़ बॉल को हाथों में ले कर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं। अब अपने हाथों की बॉल को अपने पैरों में पकड़ाएं और फिर पैरों को नीचे ले जा कर दुबारा बॉल ले कर ऊपर आएं। फिर पैरों से जो बॉल उठाई गई है उसे दुबारा हाथों में पकड़ाएं। इस क्रिया को लगातार 12 बार करें।ऐसा करने से पेट पर जमा फैट कुछ ही दिनों में कम होने लगेगा।

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जो लोग वज़न कम कर रहे हैं, उनके लिए ये है डाइट चार्ट


  • वज़न कम करने के लिए डाइट पर खास ध्यान देना होता है।
  • लो-कैलोरीज़ फूड्स के साथ ऊर्जा प्रदान करने वाला आहार भी लें।
  • सुबह से लेकर रात को सोने से पहले तक क्या खाना है, प्लान करें।



वजन कम करने के लिए कई तरीके हैं, इसके लिए कुछ लोग जिम में खूब मेहनत करते हैं तो कुछ खाना छोड़ देते हैं। लेकिन क्‍या आपको पता है कि मोटापा कम करने के लिए खाना-छोड़ने और जिम में जाने से कही अच्‍छा है कि आप यह जान लीजिए कि क्‍या-क्‍या खाना है और कब खाना है। ऐसा करने से आपका वज‍न जल्‍दी कम होगा और फिट भी रहेंगे।



सुबह उठने पर:

2 खजूर
1 कप चाय
30 मिनट के लिए सैर (तेज़ चलें)।

ब्रेकफास्ट (8 से 9 बजे) :

मूंग की अंकुरित दाल में 1 उबला हुआ आलू डालें और चाट के रूप में इसका मज़ा लें।

ब्रेकफास्ट के 2 घंटे बाद (11 बजे) :

1 गिलास लस्सी

लंच (1 से 2.30 बजे) :

1 चपाती
1 कटोरी लौकी का रायता
1 कटोरी सब्ज़ी
अपना मनपसंद सलाद खाएं।

खाने में 1 चम्मच से ज़्यादा तेल का इस्तेमाल न करें।

शाम की चाय (4 से 5 बजे) :

1 कप चाय
1 बिस्कुट

देर शाम को (7 बजे) :

1 नारियल का पानी पिएं।

डिनर (8 से 9 बजे) :

1 बाउल चाइनीज़ सूप। इसे बनाने के लिए 2 बड़े चम्मच साबुत मसूर की दाल लें। अलग-अलग तरह की सब्ज़ियों को उबाल लें और मिक्सी में पीस लें। अपने स्वाद के अनुसार, इसमें मसाले का उपयोग करें।
इसमें 1 चम्मच मक्खन डालें। ध्यान रहे कि सूप को छाने नहीं।
साथ में एक मुट्ठी पॉपकॉर्न भी खा सकते हैं, लेकिन इसमें मक्खन न डालें।

रात को सोने से पहले :

1 कप दूध पिएं। इसमें आधी चम्मच चीनी डालें।

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All Yoga Asanas Names With Pictures And Benefits in Hindi

अर्ध चन्द्रासन




अर्ध चन्द्रासन जैसा कि नाम से पता चल रहा है, इस आसन में शरीर को अर्ध चन्द्र के आकार में घुमाया जाता है। इसको भी खड़े रहकर किया जाता है। यह आसन पूरे शरीर के लिए लाभप्रद है।

भुजंग आसन

भुजंग आसन का रोज अभ्यास से कमर की परेशानियां दूर होती हैं। ये आसन पीठ और मेरूदंड के लिए लाभकारी होता है।


बाल आसन


बाल आसन से तनाव दूर होता है। शरीर को संतुलिच और रक्त संचार को सामान्य बनाने के लिए इस आसन को किया जाता है।


 मर्जरियासन

बिल्ली को मार्जर भी कहते हैं, इसलिए इसे मर्जरियासन कहते हैं। यह योग आसन शरीर को उर्जावान और सक्रिय बनाये रखने के लिए बहुत फायदेमंद है। इस आसन से रीढ़ की हड्डियों में खिंचाव होता है जो शरीर को लचीला बनाता है।

नटराज आसन



नटराज आसन फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इय योग से कंधे मजबूत होते हैं साथ ही बाहें और पैर भी मजबूत होते हैं। जिनको लगातार बैठकर काम करना होता है उनके लिए नटराज आसन बहुत ही फायदेमंद है।


गोमुख आसन

गोमुख आसन शरीर को सुडौल  बनाने वाला योग है। योग की इस मुद्रा को बैठकर किया जाता है। गोमुख आसन स्त्रियों के लिए बहुत ही लाभप्रद व्यायाम है।





हलासन



हलासन के रोज अभ्यास से रीढ़ की हड्डियां लचीली रहती है। वृद्धावस्था में हड्डियों की कई प्रकार की परेशानियां हो जाती हैं। यह आसन पेट के रोग, थायराइड, दमा, कफ एवं रक्त सम्बन्धी रोगों के लिए बहुत ही लाभकारी होता है।


सेतु बांध आसन





सेतु बांध आसन पेट की मांसपेशियों और जंघों के एक अच्छा व्यायाम है। जब आप इस योग का अभ्यास करते है तो शरीर में उर्जा का संचार होता है।




रॉकिंग चेयर योग

रॉकिंग चेयर योग करने से रीढ़ की हड्डियों में ऊर्जा का संचार होता है साथ ही शरीर में रक्त का संचार तेज गति होता है।





सुखासन


सुखासन बैठकर किया जाने वाला योग है। ये योग मन को शांति प्रदान करने वाला योग है। इस योग के दौरान नाक से सांस लेना और छोड़ना होता है।


नमस्कार आसन

नमस्कार आसन किसी भी आसन की शुरुआत में किया जाता है। ये काफी सरल है।




ताड़ासन

ताड़ासन के अभ्यास से शरीर सुडौल रहता है और इससे शरीर में संतुलन और दृढ़ता आती है।



रोज त्रिकोण मुद्रा



रोज त्रिकोण मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर का तनाव दूर होता है और शरीर में लचीलापन आता है।


कोणासन


कोणासन बैठकर किया जाता है। कमर, रीढ़ की हड्डियां, छाती और कुल्हे इस योग मुद्रा में विशेष रूप से भाग लेते है। इन अंगों में मौजूद तनाव को दूर करने के लिए इस योग को किया जाता है।



उष्टासन



उष्टासन यानी उंट के समान मुद्रा। इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर की उंट की जरह दिखता है। इसलिए इसे उष्टासन कहते हैं। उष्टासन शरीर के अगले भाग को लचीला एवं मजबूत बनाता है। इस आसन से छाती फैलती है जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।


वज्रासन



वज्रासन बैठकर किया जाना जाने वाला योग है। शरीर को सुडौल बनाने के लिए किया जाता है। अगर आपको पीठ और कमर दर्द की समस्या हो तो ये आसन काफी लाभदायक होगा।


वृक्षासन


वृक्षासन का मतलब है वृक्ष की मुद्रा मे आसन करना। इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। इसके अभ्यास से तनाव दूर होता है और पैरों एवं टखनों में लचीलापन लाता है।

दंडासन


बैठकर किये जाने वाले योगों में एक है दंडासन। इस योग की मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से हिप्स और पेडू में मौजूद तनाव दूर होता है और इनमें लचीलापन आता है।


अधोमुखी श्वान आसन




अधोमुखी का मतलब होता है नीचे की ओर सिर झुकाना। इस आसन में कुत्ते की तरह सिर को नीचे झुकाकर योग किया जाता है। इसलिए इसे अधोमुखी श्वान आसन कहा जाता है। आसन मुद्रा मेरूदंड को सीधा बनाये रखने में सहायक होता है। यह पैरों की मांसपेशियों के लिए अच्छा व्यायाम है।


शवासन


इस आसन को मरे शरीर जैसे निष्क्रिय होकर किया जाता है इसलिए इसे शवासन कहा जाता है। थकान एवं मानसिक परेशानी की स्थिति में यह आसन शरीर और मन को नई ऊर्जा देता है। मानसिक तनाव दूर करने के लिए भी यह आसन बहुत अच्छा होता है।


उत्कट आसन




उत्कट आसन से शरीर के नीचले हिस्से कमर, घुटने एवं पैरो में मजबूती आती है। योग की इस मुद्रा से रीढ की हड्डियों को भी लाभ पहुंचता है।



अनुलोम-विलोम 


योग विधि :
अनुलोम-विलोम योग करने के लिए एक शांत स्थान पर साधारण रूप से बैठ जाए फिर उसके बाद अपने दाएं हाथ के अगुठे से अपनी दाएं नाक का छिद्र को बंद करे और बाए छिद्र से  सांस को अंदर की और भरे और फिर उसको  अंगूठे के बगल वाली दो अंगुलियों से बंद कर दें।

उसके उपरान्त दाहिनी नाक  से अंगूठे को हटा दो और दायीं नाक  से सांस को बाहर निकालिये।
फिर  दायीं नाक  से ही सांस को 4 -5 की गिनती तक अंदर को भरे और दायीं नाक को बंद करके बायीं नाक खोलकर सांस को 8 -9 की गिनती में बाहर निकल लीजिये। इस प्राणायाम को 5 से 15 मिनट तक कर रोजाना करे।

लाभ :
शांति प्रदान करके तनाव कम करता है। आखो की रोशनी बढ़ाता है और रक्त संचालन सही रहता है।अनिद्रा की समस्या में यह प्राणायाम लाभदायक है। मस्तिष्क में होनी वाली समस्याओं को दूर करने में भी लाभदायक है।
फेफड़े मजबूत होते है। सर्दी, जुकाम व दमा की बीमारियो को काफी हद तक दूर करता है।हृदय को  स्वस्थ रखता  है।

ध्यान देने योग्य सावधानियां:

एनीमिया से पीड़ित रोगीयो और कमजोर व्यकति इस योग के दौरान सांस लेने और सांस निकालने  की गिनती को 4 -4 ही रखें। 4  गिनती में सांस का लेना तो 4 गिनती में ही सांस को बाहर छोरना है। कुछ व्यकति समया काम होने के कारण सांस लेने और सांस निकालने का अनुपात 1:2 नहीं रखते। वे बहुत तेजी से और जल्दी-जल्दी सांस लेते और निकालते है। इससे आस पास हवा  में मौजूद धूल, धुआं, जीवाणु और वायरस, सांस नली में पहुंचकर कई प्रकार के संक्रमण को पैदा कर सकते है।​





मंडूकासन Frog Pose


योग विधि :
मंडूकासन के लिए  दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं फिर एडिय़ों को फैलाकर दोनों पंजों को मिलाकर उस पर बैठ जाइये। दोनों हाथों के अंगूठों को अंदर करके मुटठी बांध लें और मुटठी को एक-दूसरे से सटाकर नाभि के पास रखिये उसके बाद अब सांस अंदर खींचकर शरीर को ढ़ीला छोड़ दें। फिर सांस को छोड़ते हुए शरीर को धीरे-धीरे आगे की ओर झुकाते हुए छाती को घुटनों से लगाएं। इसके बाद फिर सांस लेते हुए शरीर को वापिस पहले वाली स्थिति में ले आएं। फिर कुछ देर रुककर सांस को छोड़ते हुए फिर से छाती को घुटनों से लगाएं। इस क्रिया को 3-4 बार करें।

योग के लाभ :
पेट के लिए अत्यंत ही लाभयादयक इस आसन से अग्न्याशय सक्रिय होता है जिसके कारण डायबिटीज के रोगियों को इससे लाभ मिलता है। हृदय के लिए भी अत्यंत लाभदायक माना गया है। कब्ज, गैस, अफारा, भूख न लगना, अपच, भोजन का पाचन ठीक न होना आदि विकारों को दूर करता है। आमाशय, छोटी आंत, बड़ी आंत, पित्तकोष, पेन्क्रियाज, मलाशय, लिवर, प्रजनन अंगों और किडनी आदि सभी अंगों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

ध्यान देने योग्य सावधानियां:
पेट संबंधी कोई गंभीर रोग हो तो यह आसन न करें। स्लिप डिस्क, ऑस्टियोपॉरोसिस और कमर दर्द के रोगी यह आसन किसी योग चिकित्सक से पूछकर ही करें।





कपालभाती  Kapalbhati



शांत और खुले स्वछ  वतावरण में  बैठकर साँसों को बाहर छोड़ने की क्रिया को करें। साँसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना होता। ध्यान रखें कि सॉस अंदर नहीं लेना है क्योंकि उस क्रिया में सॉस स्वत: ही अंदर  को चली जाती है।


योग के लाभ :
वजन कम और पेट की चर्बी को भी काम करता है। चेहरे की झुर्रिया और आँखों के निचे के कालेपन दूर करके चेहरे की चमक फिर से लौटाने में मदद करता है। गैस, कब्ज और एसिडिटी की समस्या को दूर करता है। शरीर और मन के सारे नकारात्मक तत्व और विचारो को दूर कर देता है। स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।
कफ विकार नष्ट करता है और श्वासनली की सफाई अच्छे से हो जाती है। रक्त धमनी की कार्यक्षमता बढाती है और बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मदद होती है।


ध्यान देने योग्य सावधानियां:
कपालभाती सुबह के समय खाली पेट, पेट साफ़ होने के बाद ही करना चाहिए। अगर खाना खाने के बाद कपालभाती करना है तो खाने के कम से कम 5 घंटे बाद इसे करे। कपालभाती करने के बाद 30 मिनिट तक कुछ न खाए थोड़ा पानी ले सकते है।  गर्भवती महिला, गैस्ट्रिक अलसर , एपिलेप्सी, हर्निया  के मरीज इस क्रिया को न करे।




मकरासन Crocodile Pose



पेट के बल लेट जाइए फिर दोनों पैरों को मिलाकर अपने कंधे और सिर को उठाइए और दोनों हाथ को कोहनियों को मिलाकर स्टैंड  बनाते हुए हथेलियों को ठोडी के निचे लगाइए। छाती को ऊपर उठाइए। उसके बाद उंगलियों को गाल के साथ लगाकर रखिए.

योग के लाभ :
कमर दर्द में रामबाण का काम करता है मकरासन | इस आसन से साइटिका और गर्दन के दर्द में राहत मिलती है | इस आसन से फेफड़ों की बीमारी एवं दमा रोग से ग्रस्त व्यक्ति को लाभ मिलता है | यह आसन पेट की चर्बी को कम काम होती है तथा कब्ज भी दूर करता है | आँतों की विधिवत  मालिश इस आसन से  हो जाती है |

ध्यान देने योग्य सावधानियां:
खाली पेट ही इस आसन को करना चाहिए | इस आसन को  हर्निया की शिकायत होने पर न करे। यह आसन करने के बाद कुछ समय पीठ के बल लेटकर के लिए शवासन अवश्य करे।

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वीकेंड के लिए डाइट प्लान जिससे वज़न कम करने में मदद मिलेगी




  • ऑफिस का काम छोड़कर कुछ समय अपनी हेल्थ पर देने का
  • 5 दिन के डाइट चार्ट्स फॉलो कर चुके हैं
  • यह है डाइट प्लान जो आप हफ्ते के अंत में फॉलो कर सकते हैं


ऑफिस का काम छोड़कर कुछ समय अपनी हेल्थ पर देने का। हेल्द माइंड और बॉडी के लिए ज़रूरत सिर्फ एक्सरसाइज़ करने की नहीं है, बल्कि प्रॉपर डाइट की भी है। अगर आप हमारे बताए हुए 5 दिन के डाइट चार्ट्स फॉलो कर चुके हैं, यह है डाइट प्लान जो आप हफ्ते के अंत में फॉलो कर सकते हैं।


सुबह उठने पर:
2 अंजीर। इससे आपको 65 कैलोरी मिलेगी।
1 कप चाय (20 कैलोरी)

ब्रेकफास्ट (8-9 बजे)
150 मि.ली. दूध लें। इसमें 4 बड़े चम्मच कॉर्नफ़्लेक्स के डाल दें। इसमें 1 चम्मच पिसे हुए बादाम, काजू और अखरोट मिक्स करें। आपके इस पौष्टिक आहार में दूध से आपको 100 कैलोरी मिलेगी, कॉर्नफ़्लेक्स से 65 कैलोरी और पीसे हुए बादाम, अखरोज, काजू से 30 कैलोरी।

सुबह उठने के दो घंटे बाद (11 बजे)
1 गिलास छाछ। इससे आपको 50 कैलोरी मिलेगी।
छाछ में न सिर्फ कैलोरी कम होती हैं, बल्कि इसमें प्रोबायोटिक्स भी होते हैं। प्रोबायोटिक्स रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने में मददगार साबित होते हैं। ये हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करके हमें पाचन तंत्र संबंधी तमाम बीमारियां जैसे-डायरिया, कोलाइटिस से बचाते हैं।

लंच (1-2.30 बजे)
आज लंच में फ्राइड नूडल्स हैं। इसे बनाने के लिए 2 छोटे चम्मच तेल, 4 बड़े चम्मच उबली हुई नूडल्स लें। इसमें चिकन के 2 टुकड़े या 1 अंडा या 4 टुकड़े पनीर के डालें। ज़्यादा स्वाद के लिए इसमें सब्ज़ियां भी डालें।
नूडल्स के आपको 150 कैलोरी मिलेगी, पनीर से 100 कैलोरी और सब्ज़ियों से 50 कैलोरी।
मैदा नूडल्स की जगह गेहूं के नूडल्स ही खरीदें।

शाम की चाय (4-5 बजे)
इतने स्वादिष्ट लंच के बाद शाम को 1 कप गर्मा-गरम चाय पीएं।
साथ में 1 मुट्ठी भूने हुए चने की खाएं। आप चाहें तो चने को चाट के रूप में भी खा सकते हैं।
भूने हुए चने से आपको 100 कैलोरी मिलेगी।

डिनर (8-9 बजे)
1 बाउल लाल-लाल टमाटरों का सूप पीएं। इसमें 1 छोटा चम्मच मक्खन डाल सकते हैं।
साथ में 1 स्लाइस ब्रेड का ले लें। ब्रेड को टोस्टर में या फिर तवे पर सेंक लें।
सूप से आपको 100 कैलोरी मिलेगी और टोस्ट से 80 कैलोरी।
टमाटर में एंटीऑक्सीडेंट होता है, जिसके चलते आपकी पाचन शक्ति बढ़ती है। इससे कब्ज भी दूर होती है। टमाटर के सूप से वज़न में भी कटौती होती है, क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत कम होती है और यह शरीर में एकत्रित अतिरिक्त वसा को गलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

रात को सोने से पहले
इस वक्त आपको कुछ मीठा खाने की इच्छा ज़रूर हो रही होगी, तो आधा कप फ्रूट कस्टर्ड खाएं।
कस्टर्ड से आपको 70 कैलोरी मिलेगी।
कस्टर्ड के चलते आपका मीठा खाने का मन ज़्यादा नहीं करेगा, क्योंकि जब आप बिल्कुल मीठा बंद कर देते हैं, तब आपका मीठा खाने का मन ज़्यादा करता है।

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Thyroid in hindi जानें थॉयराइड क्‍या हैं

थॉयराइड क्‍या हैं?



थायरायड ग्रंथि तितली के आकार की ग्रंथि है जो मेटाबॉलिज्‍म को नियंत्रित करती है। यह ग्रंथि गले के अंदर होती है और पिट्यूट्री ग्रंथि जो मस्तिष्क में स्थित होती है, इसके द्वारा नियमित की जाती है। यह ग्रंथि दो हार्मोन टी- 3, ट्राईआयोडोथायरोनिन और टी-4, थायरोक्सिन का उत्‍पादन करती है। इन हार्मोन्‍स के अनियमित होने से कई समस्‍यायें होने लगती हैं। थायराइड दो तरह का होता है - ओवरएक्टिव या अण्डरएक्टिव थायराइड। अमेरिका के कोलम्बिया मेडिकल सेंटर की मानें तो हर साल करीब 20 लाख लोग इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। पुरुषों की तुलना में 35 साल की महिलाओं में इस बीमारी के होने की संभावना 30 प्रतिशत अधिक होती है। इस लेख में विस्‍तार से जानते हैं वर्तमान में यह बीमारी सामान्‍य क्‍यों हो गई है।

तनाव के कारण



वर्तमान में अगर युवा पीढ़ी किसी समस्‍या से सबसे अधिक ग्रस्‍त है तो वह है तनाव। कुछ अलग करने और नया मुकाम पाने की चाहत के कारण युवा घंटों काम करते हैं, इसके कारण तनाव उनका सबसे अच्‍छा साथी हो जाता है। तनाव का असर थायराइड ग्रंथि पर पड़ता है। शोधों में भी ये बात साबित हो चुका है कि तनाव थायरॉयड ग्रंथि से निकलने वाले थायरॉक्सिन हार्मोन के स्राव को नियंत्रि‍त करने की महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में अधिक तनाव होने पर इस हार्मोंस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तनाव के कारण हार्मोंस का स्तर तेजी से बढ़ने लगता हैं। तनाव के कारण पुरुषों में प्राइमरी हाइपोथायराइडिज्म की समस्या होने लगती हैं। इससे रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है और हार्मोनल ग्रंथि काम करना बंद कर देती है।

प्रदूषण के कारण



पदूषण का असर हमारे स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ता है और इसके कारण श्‍वांस संबंधी कई बीमारियां होने लगती हैं। प्रदूषण वर्तमान की खतरनाक समस्‍याओं में से एक हो गया है। भारत में इसकी हालत और अधिक खराब है, क्‍योंकि दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर दिल्‍ली ही है। प्रदूषण के कारण हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर थायराइड ग्रंथि को भी नुकसान पहुंचाते हैं। अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन ने इसपर शोध भी किया। इस शोध में यह साबित हुआ कि कल-कारखानों से निकलने वाला प्रदूषण शरीर के इंडोक्राइन सिस्‍टम को क्षतिग्रस्‍त कर देता है और इसका सीधार असर हार्मोन पर पड़ता है, इसी से थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है।

हार्मोन असंतुलन के कारण
थायराइड की समस्‍या हार्मोन के अंसुतलन के कारण होती है। क्‍योंकि थायराइड ग्रंथि का प्रमुख काम हार्मोन का निर्माण करना होता है। शरीर के अधिवृक्क ब्लड शुगर को नियंत्रित करने वाले हार्मोन बनाते हैं। तनाव और अनियमित जीवनशैली इसको प्रभावित करती है। इससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित होती है जिसका नतीजा हाइपरथाइरोडिज्म होता है। इसके लिए जिम्‍मेदार कारण हैं - पोषण की कमी, व्यायाम न करना, गलत डायट, अनियमित दिनचर्या, आदि। महिलाओं और पुरुषों में हार्मोन असंतुलन के अलग-अलग प्रभाव होते हैं। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और और प्रोलैक्टिन हार्मोन पुरुषों के शरीर में भी उत्पादित होते हैं। इन सभी हार्मोन में टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के शरीर में मौजूद सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है।


इसके अलावा आयोडीन की कमी, सेलेनियम की कमी, फ्लोराइड युक्‍त पानी, और आजकल के आहार में बहुतायत में प्रयोग होने वाले सोया उत्‍पाद के कारण थायराइड की समस्‍या होती है।

जानें थॉयराइड की दवा न लेने पर शरीर पर क्‍या पड़ते हैं प्रभाव

थाइरायड की दवा न लेने से रक्तचाप अनियमि हो सकता है।
थाइरायड की दवा न लेने से मरीज को अकसर बुखार रहता है।
थाइरायड की दवा न लेने से याद्दाश्त प्रभावित होती है।



थाइरायड की समस्या से ग्रस्त मरीजों के जीवन में दवा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि थाइरायड के मरीज रोजाना दवाओं का सेवन करते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे हैं जिनके जहन में यह सवाल अकसर गोते लगाता है कि आखिर हम थाइरायड की दवा रोजाना क्यों खाए? इसे जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा क्यों बनाया जाए? वास्तव में थाइरायड की दवा मरीज के बेहतर स्वास्थ्य के लिए तो आवश्यक है ही। इसके अलावा यदि थाइरायड के मरीज थाइरायड की दवा का रोजाना सेवन नहीं करते तो उन्हें विभिन्न किस्म की नई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। इस लेख में हम थाइरायड की दवा न लेने के
नुकसान पर चर्चा करेंगे।

रक्तचाप
थाइरायड की दवा का सेवन न करने वाले या अनियमित करने वालों को यह बता दें कि थाइरायड की दवा के साथ खिलवाड़ करने का यह नतीजा हो सकता है कि रक्तचाप सम्बंधी समस्या आपके साथ खेल खेलने लगे। यह कभी कम तो कभी ज्यादा हो सकता है। कहने का मतलब यह है कि रक्तचाप की समस्या अनियमित हो सकती है।

बुखार
थाइरायड की दवा का जो मरीजा रोजाना सेवन नहीं करते उन्हें हमेशा बुखार बना रहता है। दरअसल थाइरायड की दवा हमारे शरीर में हारमोन को संतुलित करने में मदद करता है। ऐसे में यदि मरीज रोजाना थाइरायड की दवा नहीं लेता तो उसके शरीर में कई किस्म के असामान्य बदलाव होते हैं। नतीजतन शरीर अकसर बुखार से तप रहा होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बुखार बहुत तेज नहीं होता। लेकिन दवा की कमी के चलते हो रहा बुखार शरीर के लिए नुकसानदेय है।

थकान
थाइरायड के मरीजों को हर रोज थाइरायड की दवाओं का सेवन करना चाहिए। इसका सेवन न करने से शरीर में थकान बनी रहती है। मरीज हमेशा यही महसूस करता है कि उसने बहुत सारा शारीरिक काम किया है। कम काम के बावजूद जल्द थकान हो जाती है। यही नहीं मरीज ज्यादा काम करने की स्थिति में भी नहीं होता। थकन एक ऐसी चीज है जो मरीज को अंदर तक निचोड़ कर रख सकती है। असल में थकन के कारण ही शरीर में बुखार का एहसास बना रहता है।

तनाव
जो मरीज थाइरायड की दवा का सेवन रोजान नहीं करते उन्हें तनाव भी अकसर घेरे रहता है। दरअसल यह शरीर का चक्र है। जब आप शारीरिक रूप से थकन से भरे रहोगे, बुखार हमेशा आपको अपनी चपेट में जकड़कर रखेगा तो ऐसे में मूड का स्विंग होना लाजिमी है। यही नहीं मूड इस हद तक खराब हो सकता है मरीज तनाव से घिर सकता है। आपको बताते चलें कि यदि मरीज दवाओं को नियमित न ले तो उससे तनाव आसानी से दूर नहीं जाता।

याद्दाश्त
थाइरायड की असंख्य समस्या है। इसी तरह इसकी दवाओं का सही समय में सेवन न करने से भी असंख्य समस्याएं आन खड़ी होती है। मतलब यह कि थाइरायड की दवा का रोजाना सेवन न करने से मरीज को याद्दाश्त सम्बंधी समस्या भी आ सकती है। उसके यादों के पन्ने धुंधले पड़ने लगते हैं। इतना ही नहीं बहुत पुरानी चीजें या बातें शायद उसे याद रहें। अतः ऐसी समस्या से बचना है तो दवाओं का रोज सेवन करें।

कोलेस्ट्रोल
थाइरायड की दवाओं का असर इतना होता है कि वह मरीज के शरीर के कई हिस्सों को संतुलित रखता है। जो मरीज थाइरायड की दवा का रोजाना सेवन न करने के लिए सैकड़ों बहाने बनाते हैं, उन्हें शायद यह नहीं पता कि इसका सेवन न करने से कोलेस्ट्रोल का स्तर भी प्रभावित होता है।

वजन बढ़ना
थाइरायड के मरीज अकसर मोटे होते हैं। लेकिन जो लोग थाइरायड की दवा नहीं लेते, वे असामान्य रूप से मोटे हो जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि मरीज इस दवा को रोजाना न ले तो उसका न सिर्फ वजन बढ़ता है बल्कि यह वजन घटाया भी नहीं जा सकता है। विशेषज्ञों की मानें की तो थाइरायड  के कारण हुए मोटापे के बाद वर्कआउट, डाइट, एक्सरसाइज आदि भी काम नहीं करते।

इनफर्टिलिटी
थाइरायड की मरीज की समस्या छोटे से लेकर बड़े तक है। मरीज को थाइरायड की दवा का सेवन इसलिए भी करना चाएिह ताकि उसकी फर्टिलिटी बनी रहे। दरअसल जो मरीज थाइरायड की दवा का सेवन करने से बचना चाहते हैं, उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि इस कमी के कारण वे ताउम्र मां या बाप बनने से वंचित रह सकते हैं।

गर्भपात
जो थाइरायड से ग्रस्त महिला गर्भवती हैं, उन्हें तो यह दवा आवश्यक रूप से लेनी चाहिए। असल में यदि वे इस दवा को लेने में जरा भी कोताही बरतती हैं, तो उनका गर्भपात हो सकता है। उनका शिशु इस बीमारी से पीड़ित हो सकता है। यही नहीं कई अन्य समस्याएं भी सामने आ सकती हैं। अतः थाइरायड की दवा का रोजाना अवश्य सेवन करें।



योग से दूर करें थायराइड की समस्‍या




थायराइड की समस्‍या थॉयरॉक्सिन हार्मोन के असंतुलन के कारण होती है। इस हार्मोन की वजह से पूरे शरीर की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है, जिसमें ऊर्जा में कमी, चिड़चिड़ापन, वजन असंतुलन, रक्तचाप आदि लक्षण शामिल हैं। योग से शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक कायाकल्प प्राचीन पद्धति का तरीका है। योग के विभिन्न आसन थायराइड पर नियंत्रण पाने के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं।इसके लिए आपको नियमित योगाभ्यास की जरूरत होती है। आइए जानें कौन-कौन से आसन करके थायराइड के रोग को योग द्वारा भगाया जा सकता है।

विपरीत करणी आसन

सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं फिर अपने दोनों हाथों और दोनों पैर आपस में जोड़ें। अब दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। पहले 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और 90 डिग्री तक आकर पैरों को रोक लें। अब दोनों हाथों को नितंबों पर रखकर पैरों को ऊपर उठाएं और दोनों कुहनियों को जमीन पर ही रखें। अब पैरों को सीधा रखें और हथेलियों के सहारे कमर को ऊपर उठाने का प्रयास करें। इसके बाद धीरे-धीरे वापस हाथों के सहारे कमर को नीचे लाएं। फिर पैरों को 90 डिग्री के कोण पर लाएं और इस स्थिति में थोड़ी देर रूकें।यह योग उन लोगों को नहीं करनी चाहिए जिन्हें हाई ब्लडप्रेशर या हर्ट से संबंधित, स्पोंडलाइटिस और स्लिप-डिस्क की शिकायत है।

मत्स्यासन 



मत्‍स्‍यासन में पीठ के बल सीधा जमीन पर लेट जाएं फिर अपने पैरों को आपस में जोड़ लें। अब दोनों हाथों को गर्दन की पास रखें और हथेलियों का सहारा लेते हुए गर्दन को उठाने का प्रयास करें। अब दोनों हाथों को जांघ पर रखें। वापस आते समय दोनों हथेलियों के सहारे गर्दन को दोबारा उसी स्थिति में वापस ले आएं।

हलासन

हलासन में पीठ के बल लेट कर अपने पैरों को मिला लें। अब धीरे-धीरे दोनों पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं और पैरों को 30, 60 और 90 डिग्री के कोण पर लाकर रोकें। अब दोनों हाथों पर जोर देकर पैरों को सिर की ओर थोड़ा सा झुकाएं। जब पैर जमीन को स्पर्श करने लगे, तो दोनों हथेलियों को क्रॉस करके बांधे और सिर पर रखें।

ब्रह्ममुद्रा



ब्रह्ममुद्रा आसन के लिए वज्रासन में या अपनी कमर सीधी करके बैठें और गर्दन को 10-15 बार ऊपर-नीचे, और फिर दाऍ-बाऍ करें। और इतनी ही बार क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं।

नाड़ीशोधन प्राणायाम



नाड़ीशोधन प्राणायाम में कमर और गर्दन सीधी करके बैठें और फिर एक नाक से धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लेकर दूसरे नाक से निकालें। यही क्रिया फिर दूसरी नाक से भी करें। इस कम से कम 10 बार दुहराएं।

उष्ट्रासन 





घुटनों पर खड़े हो जाएं। फिर पीठ को पीछे की ओर झुकाते हुए दोनों हाथों से एडिय़ों को पकड़कर अपनी गर्दन पीछे की ओर झुकाएं और पेट को आगे की तरफ उठाएं। चूंकि इस आसन में शरीर ऊंट की आकृति जैसा हो जाता है। इसलिए इसे उष्ट्रासन कहा जाता है। इस स्थिति में 10-15  बार सांस धीरे-धीरे लें और छोड़ें।

धनुरासन



धनुरासन में पेट के बल लेटकर दोनों टखनों को पकड़ लें। (इस आसन में शरीर धनुष के सामान हो जाता है।) फिर गर्दन, सिर, छाती और घुटनों को ऊपर उठाकर 10-15 बार धीरे-धीरे लंबी और गहरी सांस लें और छोड़ें।

यह सब आसन थायराइड को दूर करने के लिए है पर आप इस बात का ध्यान रखें कि इन आसनों को किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें।


सिंहासन  मुद्रा






घुटनों को फैलाकर वज्रासन में बैठ जाइये। यदि सम्भव हो तो सूर्य की ओर मुंह करके बैठिये। हाथों को घुठनों के बीच में जमा दीजिए तथा अंगुलियां शरीर की तरफ रखिए। सीधी भुजाओं के सहारे थोड़ा आगे की ओर झुकिये तथा सिर पीछे की ओर उठाइये। इसके बाद मुंह को खोलिए और जितना सम्भव हो सके जीभ को बाहर निकालिये। आंखों को पूरी तरह खोलकर आसमान में देखिये। नाक से श्वास लीजिये। श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए गले से स्पष्ट और स्थिर आवाज निकालिये। इसे जीभ को निकालकर व दाएं-बाएं घुमाकर भी करते हैं।

गले से की जाने वाली ध्वनि के अनुसार श्वास को धीरे-धीरे लीजिये व छोड़िए। सामान्य स्वास्थ्य में 10 बार करें। विशेष बीमारी में अधिक समय तक किया जा सकता है।

सिंहासन के लाभ

1.  इस आसन द्वारा चुल्लिका ग्रंथि (थाईराइड ) को मजबूती प्रदान की जाती है और उसकी आंतरिक सक्रियता        में गड़बड़ी  भी दूर की जा सकती है।

2. गले, नाक, कान और मुंह की बीमारियों को दूर करने के लिये यह एक श्रेष्ठ आसन है।

3. चेहरे, आंख और जीभ के लिए यह आसन बहुत ही उपयोगी है।

4. यह आसन मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति करता है।

5. हकलाकर बोलने वालों के लिए उपयोगी है। इससे स्वस्थ और मधुर स्वर का विकास होता है।

6. मासिक धर्म संबंधी विकार को दूर करता है।

7. सिंहासन गले की तकलीफ, आवाज़ की खराबी और टांसिल सूजन को खत्म करने में औषधि के रूप में काम       करता है

8. श्वसन संस्थान पर भी इसका प्रभाव बहुत लाभ देता है

9. स्वर यंत्र ( लैरिंज ) साँस नली और उसके सभी उपकरणों को संचालित करने में सहायक है

10. सिंहासन से मुंह व आँखों के आस पास की झुर्रियों को दूर किया जा सकता है।

11. गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत बनाया जा सकता है।
12. इस आसन द्वारा मुंह के आन्तरिक भागों का भी व्यायाम संभव है और आवाज़ साफ व सुरीली की जा सकती       है

13. सिंहासन से पाचन क्षमता में सुधार किया जा सकता है।

14. इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करने से मुड़े हुए पैर भी सीधे किये जा सकते है| इसके अलावा इस आसन द्वारा पैरों का रक्त संचार तेज हो जाता है जिससे पैरों को मजबूत बनाया जा सकता है।

15.  इस आसन से चेहरे की झुर्रियां ख़त्म हो जाती है तथा चेहरे व गले का रक्त संचार ठीक रहता है। चेहरे व गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

थाइराइड में फायदेमंद हैं ये आहार

थाइराइड की पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है।
थायराइड एक साइलेंट किलर है जिसका निदान देर से हेता है।
इसके रोगी को मछली और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए।


थाइराइड ग्रंथि की समस्या आज आमतौर पर ज्यादातर लोगों में देखी जा सकती है। थाइराइड की समस्या आदमी की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होती है। थाइराइड एक साइलेंट किलर है जो सामान्य स्वास्‍थ्‍य समस्यायओं के रूप में शरीर में शुरू होती है और बाद में घातक हो जाती है। थाइराइड से बचने के लिए विटामिन, प्रोटीनयुक्त और फाइबरयुक्त आहार का ज्यादा मात्रा में सेवन करना चाहिए। थाइराइड में ज्यादा आयोडीन वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए। मछली और समुद्री मछली थाइराइड के मरीज के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। थाइराइड के मरीज को डॉक्टर से सलाह लेकर ही अपना डाइट प्लान बनाना चाहिए। हम आपको कुछ आहार के बारे में जानकारी दे रहे हैं जो कि थाइराइड के मरीज के लिए फायदेमंद हो सकता है।

मछली

थाइराइड के मरीज को आयोडीनयुक्त भोजन करना चाहिए। मछली में ज्यादा मात्रा में आयोडीन होता है। आम मछलियों की तुलना में समुद्री मछलियों में आयोडीन होता है। इसलिए समुद्री मछली जैसे, सेलफिश और झींगा खाना चाहिए जिसमें ज्यादा मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। अल्बकोर ट्यूना, सामन, मैकेरल, सार्डिन, हलिबेट, हेरिंग और फ़्लाउंडर, ओमेगा -3 फैटी एसिड की शीर्ष आहार स्रोत हैं।

साबुत अनाज 

आटा या पिसे हुए अनाज की तुलना में अनाज में ज्यादा मात्रा में विटामिन, मिनरल, प्रोटीन और फाइबर होता है। अनाज में विटामिन-बी और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं जिसे खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है। पुराना भूरा चावल, जंगली चावल, जई, जौ, ब्रेड, पास्ता और पापकॉर्न खाना चाहिए।


दूध और दही 

थाइराइड के मरीज को दूध और उससे बने खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। दूध और दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। दही में पाऐ जाने वाले स्वस्थ बैक्टीरिया (प्रोबायोटिक्स) शरीर के इम्‍यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। प्रोबायोटिक्स थाइराइड रोगियों में गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल को स्‍वस्‍थ बनाए रखने में मदद करता है।

फल और सब्जियां

फल और सब्जिया एंटीऑक्सीडेंट्स का प्राथमिक स्रोत होती हैं जो कि शरीर को रोगों से लडने में सहायता प्रदान करते हैं। सब्जियों में पाया जाने वाला फाइबर पाचन क्रिया को मजबूत करता है जिससे खाना अच्छे से पचता है। हरी और पत्तेदार सब्जियां थाइराइड ग्रंथि की क्रियाओं के लिए अच्छी होती हैं। हाइपरथाइराइजिड्म हड्डियों को पतला और कमजोर बनाता है इसलिए हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिसमें विटामिन-डी और कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। लाल और हरी मिर्च, टमाटर और ब्लूबेरी खाने में शरीर के अंदर ज्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट जाता है। इसलिए थाइराइड के रोगी को फल और हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

आयोडीन 

थाइराइड के मरीज को आयोडीनयुक्त भोजन करना चाहिए। आयो‍डीन थाइराइड ग्रंथि के दुष्प्रभाव को कम करता है। थाइराइड के मरीज को ज्या‍दा आयोडीनयुक्त नमक नहीं खाना चाहिए क्योंकि उसमें सूगर की मात्रा भी मौजूद होती है जिससे थाइराइड बढता है।

थाइराइड को साइलेंट किलर भी कहा जाता है। थाइराइड के मरीज को सामान्य स्वास्‍थ्‍य समस्याएं होती हैं जिसे भागदौड की जिंदगी में आदमी असानी से उपेक्षा कर देता है जो कि घातक हो सकता है। लेकिन स्वस्थ खान-पान अपनाकर थाइराइड के खतरे को कम किया जा सकता है।



















 

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Thanks to: Mussab Ahmad,

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