बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल से कैसे निपटें
बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए जंकफूड और अधिक वसा वाला भोजन ना करें। इसके साथ ही अपनी दिनचर्या में सुधार करें। दिन की शुरुआत व्यायाम और हेल्दी नाशते के साथ करनी चाहिए। कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा उत्पन्न की जाने वाली वसा होती है। हमारा शरीर सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए कोलेस्ट्रॉल का होना जरूरी है। शरीर की हर कोशिका के जीवन के लिए कोलेस्ट्रॉल का होना आवश्यक है। ब्लड प्लाज्मा के जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचने वाले कोलेस्ट्रॉल यह नाम सुनते ही जेहन में घबराहट होने लगती है। और ऐसा होना गलत भी नहीं। रक्त में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर को तमाम प्रकार की बीमारियां दे सकती है। तभी तो विशेषज्ञ 20 वर्ष की आयु से ऊपर के हर व्यस्क को हर पांच साल में एक बार कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाने की सलाह देते हैं।ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए केवल बुरा ही होता है। दरअसल, यह दो प्रकार का होता है। एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। एलडीएल को ही बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। क्योंकि यह घुलनशील नहीं होता, इसलिए अगर यह जरूरत से ज्यादा हो जाए, तो यह रक्त वाहिनियों में जमा होने लगता है। नतीजतन रक्त प्रवाह बाधित होने लगता है। यानी शरीर के सभी अवयवों और अंगों में रक्त पहुंचाने के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसका असर दिल की कार्यक्षमता पर पड़ता है। ऐसे में ही आपको दिल की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है। एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्तवाहिनियों से हटाने में भी मदद करता है। कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक से भी आपकी रक्षा करता है। एचडीएल, बैड कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में यह बैड कोलेस्ट्रॉल या तो यह टूट जाता है या अपशिष्ट पदार्थों के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर
इनसान की सेहत कैसी होगी, यह बात काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसके रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कितनी है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में रखा जाता है। इन हालात में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। आप इस स्थिति में कभी नहीं पहुंचना चाहेंगे। इन हालात में आपको दिल का दौरा पड़ने और स्ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।क्या करता है कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्रॉल रक्त का महत्वपूर्ण हिस्सा है। शरीर के लिए फायदेमंद कई हॉर्मोंस का स्राव करने और उन्हें नियंत्रित करने में कोलेस्ट्रॉल की अहम भूमिका होती है। अधिक कोलेस्ट्रॉल के नुकसान तो हम जानते ही हैं, लेकिन शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होना भी सही नहीं होता। जिन लोगों में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से कम होता है, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सही प्रकार काम नहीं कर पाती। ऐसे लोगों को संक्रमण का खतरा काफी अधिक होता है।शरीर में मौजूद बैक्टीरिया जिन विषैले पदार्थों का उत्सर्जन करते हैं, कोलेस्ट्रॉल उन्हें सोखकर शरीर को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करता है। इतना ही नहीं, हमारा दिमाग सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए भी जरूरी है कि रक्त में कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर बना रहे। अल्जाइमर्स यानी भूलने की बीमारी से पीडि़त लोगों के मस्तिष्क में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक पाया गया।
सूरज की किरणें विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। और सूर्य की इन्हीें किरणों को विटामिन डी में बदलने में कोलेस्ट्रॉल की अहम भूमिका होती है। ऐसे विटामिन जो रक्त में आसानी से घुल जाते हैं, जैसे विटामिन ए, डी, के और ई के मेटाबॉलिज्म के लिए भी यह कोलेस्ट्रॉल आवश्यक माना जाता है।
बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कैसे रोकें
मोटापा कम करें
कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने में मोटापा अहम भूमिका निभाता है। आपका वजन अगर सामान्य से थोड़ा भी ज्यादा है, तो आपको उच्च कोलेस्ट्रॉल होने का खतरा हो सकता है। इसलिए, हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करने के लिए अपने वजन को नियमित रखना जरूरी है। मोटाप कम करने के लिए आपको व्यायाम और आहार दोनों का सहारा लेना पड़ेगा। इसके साथ ही आपको मोटापे से निजात पाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति की भी जरूरत होती है, ताकि आप अपने प्रयासों में कामयाब हो सकें। मोटापा न केवल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाकर आपके दिल को बीमार कर सकता है, बल्कि साथ ही यह आपको उच्च रक्तचाप, मधुमेह और अन्य कई प्रकार की स्वास्थ्यगत बीमारियां दे सकता है।व्यायाम करें
भले ही आपका वजन अधिक न हो, लेकिन शारीरिक व्यायाम को अपनी आदत बना लेना आपके लिए हमेशा फायदेमंद रहेगा। व्यायाम से शरीर में रक्त-संचार सुचारू बना रहता है, जिससे हृदय के स्वास्थ्य को भी लाभ होता है। व्यायाम में आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से व्यायाम चुन सकते हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल को काबू में करने के लिए आपको सप्ताह में कम से कम पांच दिन शारीरिक व्यायाम जरूर करना चाहिए।आप जिम, साइक्लिंग, जॉगिंग, स्विमिंग और एरोबिक्स जैसे व्यायाम कर सकते हैं। रोजाना 30 मिनट व्यायाम के लिए जरूर निकालें। अगर आप भारी व्यायाम नहीं कर सकते हैं, तो फिर रोज 45 से 60 मिनट तक पैदल चलें। एक साथ व्यायाम के लिए समय न भी तो दिन में 10-10 मिनट तीन बार व्यायाम के लिए तो निकाले ही जा सकते हैं। घर और दफ्तर की सीढि़यां चढ़ना, मार्केट तक पैदल जाना, लंच के बाद थोड़ी देर टहलना। ये सब छोटे-छोटे कदम भी आपके दिल की धड़कनों को सुचारु बनाये रखने में मदद करते हैं। हां, अगर आप हृदय समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह के बिना व्यायाम न करें। कई भारी व्यायाम आपके दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ट्रांस फैट को छोड़ें
आपका आहार ही आपकी सेहत बनाता है। यदि आप स्वस्थ आहार खाएंगे, तो आपकी सेहत भी सही रहेगी और यदि आप आहार को लेकर लापरवाही बरतेंगे, तो इसका असर खामियाजा आपकी सेहत को ही उठाना पड़ेगा। अंडे का पीला भाग, फ्राइड फूड, वसा वाला दूध और उससे बने उत्पाद और फैटी मीट आदि में अत्यधिक मात्रा में वसा होती है, जो आपके दिल को बीमार कर सकती है। यह वसा आसानी से धमनियों में जम जाती है, जिससे बेचारे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। अधिक चिकनाईयुक्त भोजन और जंक फूड रक्त में खराब कोलेस्ट्रॉल को बढा सकते हैं। अगर आप स्वयं अपने लिए उपयुक्त आहार योजना बना पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हों, तो आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।दवायें
अगर आप दवाओं के जरिये कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करने का विचार कर रहे हैं, तो इसके लिए आपके पास ढेरों विकल्प मौजूद हैं। लेकिन, केवल दवाओं के भरोसे ही कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम नहीं किया जा सकता। आपको अपनी रोजमर्रा की आदतों में बदलाव तो लाना ही पड़ेगा। इससे दो लाभ होंगे, एक तो दवाओं पर आपकी निर्भरता घटेगी और साथ ही आपको हृदय संबंधी रोग होने की आशंका भी कम होगी। हालांकि, अच्छा यही है कि आप दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
कोलेस्ट्रॉल टेस्ट को जानें
कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों का स्तर जांचा जाता है। 20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना अच्छा रहता है। इसके बाद हर पांच साल में एक बार यह टेस्ट करवाने से आप कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर नजर रख सकते हैं। हालांकि, इसके बाद आपको कितने समय बाद जांच करवानी यह जांच के स्तर पर निर्भर करता है। अगर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है या आपके परिवार में दिल की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डॉक्टर हर 2 या 6 माह में जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।याद रखिए दिल की बीमारियों की बड़ी वजह कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक होना है, तो बेहतर यही है कि इसे खतरनाक स्तर तक न जाने दिया जाए। जरूरी देखभाल और कुछ सावधानियां बरतकर आप स्वयं को दिल की बीमारियों से बचा सकते हैं।
चीजें जो घटाती हैं कोलेस्ट्रॉल
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्म देती है। पर खानपान की स्वस्थ आदतों को अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या के बारे में करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कोलेस्ट्रॉल है क्या। क्या है कोलेस्ट्रॉलकोलेस्ट्रॉल एक तरह का वसायुक्त तत्व है, जिसका उत्पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्टम के सुरक्षा कवच और हार्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्छा प्रोटीन) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बैड कोलेस्ट्रॉल)। कोलेस्ट्रॉल के प्रकार एचडीएल यानी अच्छा कोलेस्ट्रॉल काफी हल्का होता है और रक्तवाहिनियों में जमे फैट को अपने साथ बहाकर ले जाता है। बुरा कोलेस्ट्रॉल यानी एलडीएल ज्यादा चिपचिपा और गाढ़ा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह रक्तवाहिनियों और धमनियों की दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्लडप्रेशर और मोटापे जैसी समस्यायें हो सकती हैं। ड्राई फ्रूट्स बादाम, अखरोट और पिस्ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमगा-3 फैटी एसिड और अन्य विटामिन बुरे कोलेस्ट्रॉल को घटाने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का अहसास कराता है। इससे व्यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्त स्नैक्स के सेवन से बचा रहता है। लहसुन लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा कराये गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 9 से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है। ओट्स ओट्स में मौजूद बीटा ग्लूकोन नाम गाढ़ा चिपचिपा तत्व हमारी आंखों की सफाई करते हुए कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीनों तक लगातार ओट्स का सेवन किया जाए, तो इससे कोलेस्ट्रॉल के स्तर में पांच फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है। सोयाबीन और दालें सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ये चीजें अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं। नींबू नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर होते हैं, जो खाने की थैली में बैड कोलेस्ट्रॉल को रक्त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं। लाल प्याज हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, लाल प्याज शरीर से खराब कोलेस्ट्राल निकालने में मदद करता है। कोलेस्ट्राल के कारण ही दिल का दौरा और मस्तिष्क स्राव होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार लाल प्याज शरीर में अच्छे कोलेस्ट्राल को बरकरार रखता है जिससे दिल की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है। सेब प्रोटीन और विटामिन से भरपूर सेब कोलेस्ट्रॉल घटा कर रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है इसलिए इसे सेहत का खजाना कहा जाता है। सेब में पेक्टिन के घुलनशील रेशे होते हैं, जो रक्त में कोलेस्ट्राल का स्तर घटाते हैं और शरीर के लिए बैक्टीरिया रोधी एजेंट की भूमिका निभाते हैं।