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Eat more to lose weight in hindi

वजन कम करना है तो खाने पर नहीं कैलोरी पर लगायें लगाम 

वजन कम करना है तो खाना छोड़ें नहीं, कैलोरी पर लगायें लगाम। 
एक बार में ज्यादा खाने की बजाय थोड़ा-थोड़ा कई बार में खायें। 
बॉडी की फिटनेस के लिए जरूरी है रोज 30 मिनट तक व्यायाम। 
सुबह का हेल्दी नाश्ता करने से शरीर पूरे दिन रहता है ऊर्जावान।

वजन कम करने की तमन्ना है तो जरूरी नहीं कि आप डायटिंग करें, भरपूर और पेट भर खाना खाकर भी आप अपने वजन को नियंत्रित कर सकते हैं। वजन कम करने के लिए पूरी तरह से कैलोरी सीमित करने तथा भोजन छोड़ने की सलाह देने वाले डाइट चार्ट आपके वजन

को कम करने में बिल्कुल सहायक नहीं होते। ऐसा माना जाता है कि बार-बार खाने से अच्छा है कि दिन में सिर्फ तीन बार और ज्यादा खाना खाया जाए। लेकिन इस प्रकार से खाने पर आपको ज्यादा भूख लगती है और इसे के चलते आप ज्यादा कैलोरी ग्रहण कर लेते हैं,

जिससे शरीर में वसा की मात्रा बढ़ती है। इससे अच्छा है दिन में 3 बार ज्यादा खाने की बजाय थोड़े-थोड़े अंतराल पर हल्का भोजन करें। आइए हम आपको बताते हैं कि भरपूर खाने से कैसे वजन कम होता है।

कम मात्रा में खाएं 
एक बार में ज्यादा खाने की बजाय कई बार और कम मात्रा में खाएं और भूखे न रहें। जब भी भूख लगे हल्का और पौष्टिक स्नैक्स खायें। लेकिन ध्यान रहे थोड़ा सा ही खाएं, ज्यादा खाने से बचें। कई बार और कम मात्रा में खाने से आपका शरीर को दिन भर में अधिक संतुष्ट और ऊर्जावान रहते हैं।

सुबह का नाश्ता जरूरी 
सुबह नाश्ता जरूरी है, इससे आपका शरीर दिनभर ऊर्जावान रहता है साथ ही आपको भूख भी कम लगती है। ऐसा नाश्ता करें जिसमें फैट कम और प्रोटीन व फाइबर अधिक हों। अधिक कैलोरी वाली चीजों के अलावा हाई ग्लाइसिमिक इंडेक्स यानी वह भोजन जो शरीर में जाकर जल्दी ग्लूकोज में बदल जाते हैं, नहीं खाना चाहिए। खाना जितना जल्दी शुगर में बदलता है, शरीर में उतनी ही अधिक चर्बी बनेगी। इसलिए लो ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ खाना चाहिए। नाश्ते में प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन लेना न भूलें।

व्यायाम भी जरूरी 
फिट रहने के लिए नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है। हर दिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करें। व्यायाम करने से आपका मेटॉबॉलिज्म सुचारु होगा। इससे कारण आपको अधिक कैलोरी नष्ट करने में मदद मिलेगी। व्यायाम शरीर के लिए तो लाभदायक होता ही है  साथ ही ये शरीर पर मौजूद अतिरिक्त चर्बी को भी समाप्त करता है।

कैसा हो खाना 
खाना ऐसा खाएं, जिसमें फैट कम हो और प्रोटीन व फाइबर ज्यादा हो। एक ग्राम कार्बोहाइड्रेट में चार कैलोरी होती हैं, जबकि एक ग्राम फैट नौ कैलोरी। साथ ही हाई फाइबर डाइट पचने में अधिक समय लेती है। इससे शरीर को धीरे-धीरे ग्लूकोज मिलता है और देर तक पेट भरा हुआ लगता है। ज्यादा प्रोटीनयुक्त आहार खाने से बचें। हाई ग्लाइसिमिक इंडेक्स वाला भोजन नहीं करना चाहिए।

डिनर करें जल्दी 
रात का खाना सोने से दो घंटे पहले करना चाहिए। इससे खाना अच्छे से पच जाता है। रात का खाना ज्यादा भारी न हो। हो सके तो रात का खाना सोने से 2 घंटा पहले करें। रात में खाने के बाद सीधे बेड पर न जायें, थोड़ा टहलें।

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Orangers for weight loss in hindi

वजन कम करने में मददगार होता है संतरा

वजन कम करने में मददगार होता है संतरा। 
संतरे में फाइबर पेट भरे होने का अहसास होता है। 
संतरे के जूस पीने से बेहतर है संतरे का सेवन करना। 
संतरे से बनी रेसेपी का सेवन भी किया जा सकता है। 

वजन कम करने का पहला नियम है कि आप जितनी कैलोरी का उपभोग करें उससे अधिक कैलोरी खर्च करें। अगर रोजाना यह अंतर 500 कैलोरी का हो तो आप सप्ताह में बामुश्किल आधा किलो वजन कम कर पाएंगे। संतरा इस मामले में आपको वजन कम करने में मदद कर सकता है। संतरे में मौजूद पोषक तत्व और कम कैलोरी की मात्रा के कारण यह वजन कम करने की चाह रखने वालों के लिए फायदेमंद होता है।





संतरा मीठा होता है इसलिए यह मीठा पसंद करने वालों की तृष्णा को भी शांत रखता है। हालांकि वजन कम करने के लिए आपको संतुलित आहार और व्यायाम का सही मेल रखना होगा। दूसरे शब्दों में कहें तो वजन कम करने के लिए संतरे से जादुई असर की उम्मीद न करें।

लो कैलोरी 
अपने मीठे स्वाद के बावजूद, संतरे में अपेक्षाकृत बेहद कम कैलोरी होती है। इससे आप कम कैलोरी का सेवन करते हैं। एक पूरे संतरे में 60 से 70 कैलोरी होती है। इस कैलोरी का अधिकतम हिस्सा संतरे की कुदरती मिठास के कारण आता है। यह कुदरती मिठास मांसपेशियों और मस्तिष्क के लिए ऊर्जा का स्रोत होती है। वहीं कैलोरी की कुछ मात्रा फल के प्रोटीन तत्व से आती है।


संतरे में मौजूद घुलनशील फाइबर आपको वजन कम करने में मदद करता है। फाइबर भूख को नियंत्रित करता है। यह पानी से भरा होता है जो भोजन को आपके पेट में अधिक समय तक रोके रखने में मदद करता है। ऐसा देखा गया है कि जो लोग अधिक फाइबर का इस्तेमाल करते हैं, वे अन्य लोगों की अपेक्षा पतले होते हैं। वेल्नसिया संतरे में 3 ग्राम फाइबर होता है। जो किसी पुरुष की रोजाना फाइबर आवश्यकता का 8 फीसदी और महिलाओं की रोजाना की फाइबर आवश्यकता का 12 फीसदी होता है।

जूस नहीं संतरे का सेवन करें

अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो संतरे का जूस पीने के बजाय संतरे का सेवन करें। संतरे के जूस में संतरे की अपेक्षा अधिक कैलोरी होती हैं। संतरे के एक गिलास जूस में संतरे की अपेक्षा दोगुनी कैलोरी होती हैं। अगर आप रोज संतरे के जूस के स्थान पर संतरे का सेवन करें तो इससे आप साल भर में 19 हजार से ज्यादा कैलोरी बचा सकते हैं। इसके अलावा संतरे का जूस पीने से आपकी भूख भी शांत नहीं होती, क्योंकि इससे फाइबर निकल चुका होता है।

अगर आप सामान्य संतरों का सेवन करते-करते थक गए हैं तो आप संतरे से बनी रेसेपीज भी आजमा सकते हैं। पालक के सलाद में संतरे का मेल करें। आप दही में भी संतरा डालकर उसका सेवन कर सकते हैं।

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GM Diet Plan in Hindi - Fastest Way To Lose Weight

हफ्ते में तीन से पांच किलो तक वजन कम करने में मददगार :जी. एम. डाइट


क्‍या है जीएम डायट





वजन घटाने और फिट रहने के लिए आप कई तरीके आजमा चुके हैं। लेकिन, अभी तक आपके हाथ कोई कामयाबी नहीं लगी। तो, क्‍यों इस बार आप अपना आहार बदलकर

देखें। क्‍यों न जांची परखी जीएम डायट को आजमाएं। जनरल मोटर्स डाइट प्रोग्राम (जीएम डाइट) को खासतौर पर वजन घटाने के लिए तैयार किया गया है। महीने में किसी

हफ्ते के सभी सातों दिन आपको कब और क्या खाना है, इसका ब्योरा दिया गया है। सिर्फ सात दिन तक इस डायट को आजमाने के बाद आप काफी फर्क देख सकते हैं।

पहला दिन


नाश्ता (8.30 - 9 बजे)- एक सेब, दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे) -एक कटोरा पपीते, 1-2 गिलास पानी
दोपहर का भोजन (1- 1:30 बजे)- एक बड़ी कटोरी तरबूज या खरबूजा, 1-2 गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- 1 संतरा या नीबू या चीकू, डेढ़ गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- 1 गिलास नारियल पानी
रात के खाने में (8.30-9 बजे)-1 सेब, दो गिलास पानी
याद रहे पहले दिन केवल फल ही खाएं और केला खाने से बचें।

दूसरा दिन


नाश्ता (8.30 - 9 बजे)-1 उबला आलू, 1 से 2 गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- 1 कटोरा भर कच्ची पत्ता गोभी, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 टमाटर, 1 ककड़ी या खीरा, आधा उबला चुकंदर, 1 से डेढ़ गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- दो टमाटर, 1 से 2 गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- पालक और टमाटर का 1 गिलास जूस
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- उबली लौकी में नमक या मसाला मिलाकर लें, दो गिलास पानी
याद रहे कि दूसरे दिन केवल सब्जियां खाएं

तीसरा दिन

नाश्ता (8.30 - 9 बजे) - 1 सेब, दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- कटोरा भर पपीता, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 टमाटर, 1 खीरा, आधा उबला चुकंदर, दो गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- 1 संतरा, 2 गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- एक गिलास पालक टमाटर का जूस या 1 चीकू
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- उबली लौकी में नमक या मसाला मिलाकर लें, दो गिलास पानी
याद रहे कि तीसरे दिन केवल फल या सब्जियां खाएं

चौथा दिन

नाश्ता (8.30 - 9 बजे) - आधा गिलास स्किम्ड दूध, दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- 1 केला, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 गिलास स्किम्ड मिल्क बिना शक्कर का, दो गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)-1 केला, दो गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- 1 केला
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- आधा गिलास स्किम्ड दूध बिना शक्कर का
याद रखे कि चौथे दिन केवल बिना शक्‍कर के स्किम्ड मिल्क और केला लें।

पांचवे दिन

नाश्ता (8.30 - 9 बजे) - 1 कटोरी
ब्राउन राइस (चावल), 1 से दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- 2 टमाटर, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 कटोरी ब्राउन राइस (चावल) टमाटर ग्रेवी के साथ, 2 गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- नमक जीरा मिले 2 टमाटर , 2 गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- 1 गिलास नीबू पानी
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- ब्राउन राइस
याद रहे पांचवें दिन केवल ब्राउन राइस और टमाटर ही खाएं

छठा दिन


नाश्ता (8.30 - 9 बजे) - 1 कटोरी
ब्राउन राइस (चावल), 1 से दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- 2 टमाटर, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 कटोरी ब्राउन राइस (चावल) अन्य सब्जियों के साथ, दो गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- जीरा, नमक मिले दो खीरे, दो गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)- 1 गिलास नीबू पानी
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- उबला चुकंदर, खीरा, गाजर, टमाटर, पत्ता
गोभी की सलाद
याद रहे छठे दिन ब्राउन राइस, टमाटर के अलावा सब्जियां ही खाएं।

सातवां दिन


नाश्ता (8.30 - 9 बजे) - 1 कटोरी
ब्राउन राइस (चावल), 1 से दो गिलास पानी
मिड मार्निंग मील (10:30 - 11 बजे)- 2 टमाटर, दो गिलास पानी
दोपहर के खाने में (1- 1:30 बजे)- 1 कटोरी ब्राउन राइस (चावल) अन्य सब्जियों के साथ, दो गिलास पानी
चाय के समय (4-4:30 बजे)- जीरा, नमक मिले दो खीरे, दो गिलास पानी
शाम के वक्त (6-6:30 बजे)-
1 गिलास शिकंजी या कोई भी जूस
रात के खाने में (8.30 - 9 बजे)- उबला चुकंदर, खीरा, गाजर,

जीएम डायट अपनाने से पहले :

बेहतर होगा यदि आप जीएम डायट अपनाने से पहले अपने डॉक्‍टर से सलाह ले लें। आप उन लोगों से भी बात कर सकते हैं, जिन्‍होंने जीएम डायट अपनायी हो। इससे आपको इस डायट के बारे में काफी जरूरी बातें पता लग जाएंगी।

कुछ नुकसान :
जीएम डायट से कुछ लोगों को शुरुआती दिनों में सिरदर्द, रूखी त्‍वचा और बाल गिरने की समस्‍याओं का सामना करना पड़ सकता है। हर व्‍यक्ति को इससे लाभ हो यह जरूरी नहीं है। हर व्‍यक्ति का शरीर अलग होता है, इसलिए हर व्‍यक्ति पर इसका असर भी अलग हो सकता है।

खूब पानी पियें:

इसके नुकसान को कम करने के लिए आपको खूब पानी पीना चाहिए। इससे आपके शरीर में निर्जलीकरण की समस्‍या नहीं होती। वजन और चर्बी कम करने में जीएम डायट काफी उपयोगी मानी जाती है। इसलिए इसे आजमाया जा सकता है।

सेब का छिलका

विशेषज्ञों के अनुसार, कई फलों और सब्जियों को छिलके समेत खाना ही अत्‍यधिक स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक होता है। उन्‍हीं में से एक फल सेब भी है। सेब में फ्लेवनॉएड्स जैसे एंटी ऑक्सीडेंट्स, पोटाशियम तथा फाइबर के भरपूर मात्रा में होते हैं लेकिन इसके छिलकों में सेब के मुकाबले कहीं अधिक मात्रा में एंटी ऑक्‍सीडेंट्स होते हैं। इसलिए अगली बार जब भी आप सेब को छिलका उतार कर खाएं तो इन सब के बारे में जरूर सोचें।

विटामिन सी से भरपूर

यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस के अनुसार, सेब के छिलके में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। आपका शरीर विटामिन सी का इस्‍तेमाल घावों को भरने और मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण के लिए करता है।

विटामिन ए से भरपूर

सेब के छिलकों में विटामिन ए भरपूर मात्रा में होता है। सेब को हमें छिलकों समेत ही खाना चाहिए क्‍योंकि शरीर विटामिन ए का इस्‍तेमाल मजबूत नजर, आंखों और अन्‍य अंगों में स्वस्थ अस्तर के विकास और महत्‍वपूर्ण प्रकियाओं जैसे कोशिका विभाजन के रूप में करता है।

एंटी आक्‍सीडेंटस से भरपूर
एग्रीकल्चर एंड एग्रो फूड संस्थान कनाडा के वैज्ञानिकों के अनुसार, छिलके में भीतरी हिस्से की अपेक्षाकृत एंटी-आक्सीडेंट्स की मात्रा कहीं अधिक पायी जाती है, इसलिए सेब खाते समय उसका छिलका उतारकर नहीं बल्कि छिलके सहित खाना अधिक लाभकारी है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सेब के लाल छिलके में ‘एंटी-आक्सीडेंटस’ की मात्रा काफी अधिक होती है। एंटी-आक्सीडेंट्स ऐसे रसायन हैं, जो स्वास्थ्य को अच्छा एवं रोगमुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।


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ग्रीन कॉफी लें और वजन घटायें

ग्रीन कॉफी लें और वजन घटायें


•  वजन को नियंत्रित करने में कारगर है ग्रीन कॉफी।
•  वैज्ञानिकों ने भी ग्रीन कॉफी को माना है कारगर।
•  एक माह में दो किलो वजन कम करती है ग्रीन कॉफी।
•  पाचन क्षमता को दुरुस्त रखता है ग्रीन कॉफी का सेवन।


ग्रीन टी के बारे में तो सब जानते हैं कि ग्रीन टी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। ग्रीन टी के कई फायदे भी हैं जैसे आप ग्रीन टी के सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ सकते हैं। ग्रीन टी से आप तरोताजा और हेल्दी रह सकते हैं


रोजाना ग्रीन टी के सेवन से आप आसानी से वजन कम कर सकते हैं। इसके अलावा भी ग्रीन टी के बहुत फायदे हैं। लेकिन क्या आप ग्रीन कॉफी के बारे में जानते हैं। जी हां, जैसे ग्रीन टी वजन घटाने में मददगार होती है ठीक वैसे ही ग्रीन कॉफी के सेवन से भी आसानी से वजन कम किया जा सकता है।

लेकिन सवाल ये उठता है कि ग्रीन कॉफी क्या है। ग्रीन कॉफी और ग्रीन टी में क्या अंतर है। ग्रीन कॉफी से कैसे वजन घटा सकते हैं। ग्रीन कॉफी को कितनी मात्रा में लेना चाहिए, इत्यादि बातों को जानना जरूरी है। तो चलिए आइए जानें ग्रीन कॉफी लेने से वजन घटाने का क्या संबंध हैं।

ग्रीन कॉफी और वजन नियंत्रण

•  हाल ही में आए शोधों के मुताबिक नई ग्रीन कॉफी ईजाद की गई है। इतना ही नहीं ग्रीन कॉफी को लेकर शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि सुबह-सुबह खाली पेट यानी नाश्ते से पहले ग्रीन कॉफी का नियमित रूप से सेवन किया जाए तो आप आसानी से अपना वजन कम कर सकते हैं।

•  शोधों के मुताबिक, यदि आप अपने वजन से बहुत परेशान हैं लेकिन आप डायट चार्ट भी फॉलो नहीं करना चाहते तो आपको ग्रीन कॉफी का सेवन करना चाहिए।

•  ग्रीन कॉफी का सबसे बड़ा फायदा है कि आप एक महीने में ही लगभग 2 किलोग्राम वजन आसानी से कम कर सकते हैं। इसके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी होगी।

•  यदि आप नियमित रूप से ग्रीन कॉफी यानी हरी चाय का सेवन करते हैं तो ग्रीन कॉफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड आपकी आहार नली में शुगर की मात्रा को कम कर देता है। इसके साथ ही ग्रीन कॉफी से आपके फैट के खत्म होने के प्रक्रिया एकदम तेज हो जाती है।

•  शोधों के मुताबिक, जो लोग नियमित रूप से ग्रीन कॉफी का सेवन करते हैं, निश्चित रूप से उनका दो सप्ताह में लगभग डेढ़ किलोग्राम तक वजन कम हो सकता है लेकिन यदि एक महीने तक रोजाना ग्रीन कॉफी का सेवन किया जाएं तो आसानी से करीब 2 किलोग्राम वजन कम करने में आसानी होगी।

•  शोधों में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ग्रीन काफी कुछ ग्रीन टी के समान है। लेकिन ग्रीन कॉफी इसलिए भी अधिक फायदेमंद है क्योंकि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप में जो तत्व मौजूद होते हैं उनसे पाचन क्षमता ठीक रहती है और ठीक इसके विपरीत इन्हीं तत्वों से वजन नियंत्रण में भी मदद मिलती है।

•  रिसर्च के दौरान यह भी बात सामने आई है कि यदि ग्रीन कॉफी के कच्चे और बिना भुने स्वरूप को भूना जाएगा तो इससे असरकारक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यही कारण है कि जो लोग सामान्य कॉफी पीने के शौकीन हैं उनका वजन कम नहीं होता क्योंकि इसे असरकारक तत्व भूनने के दौरान खत्म हो चुके होते हैं।





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Weight Loss Diet in Hindi

वसा घटाने वाले आहार

 

•  अत्यधिक जंकफूड के सेवन से शरीर में चर्बी जमा हो जाती है।
•  नियमित लहसुन का सेवन करना सेहत के लिए अच्छा रहता है।
•  खाने मे लो डेयरी उत्पाद का सेवन करें।
•  खाने में अदरक का प्रयोग करना ना भूलें।
आपके शरीर में दिन-प्रतिदिन चर्बी बढ़ती जा रही हैं जिसे नियंत्रित करने का आप हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी असफल रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं यदि आप अपने भोजन में वसा की मात्रा कम कर देंगे तो खुद-ब-खुद आप अपने शरीर में बढ़ रही अतिरिक्त चर्बी को कम कर सकते हैं। जी हां आप अपने भोजन में यदि वसारहित आहार लेंगे तो आप वजन बढ़ने और मोटापे की समस्या को भी कुछ हद तक कम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको यह भी पता होना जरूरी है कि आखिर वसामुक्त वे कौन से आहार है जो आपको अपनी दिनचर्या में शामिल करने चाहिए। इसके साथ ही आपको ऐसे आहार के बारे में भी जानना जरूरी है जो कि वसा घटाने में सहायक होते हैं। तो आइए जानें वसा घटाने वाले आहार जिसे लेकर आप फिट रह सकते हैं।

अंडे
अंडे वसा को जलाने में बहुत लाभकारी हैं। इनसे ना सिर्फ शारीरिक ऊर्जा मिलती है बल्कि वसा कम करने में भी मदद मिलती है।

सीफूड
सीफूड जैसे फिश क्रैब्स या किसी भी तरह के सीफूड जो कि मोटापा कम करने की फेहरिस्त में शामिल होते हैं को खाने से वसा कम करने में मदद मिलती है। दरअसल सीफूड खाने से लेप्टिन नामक हार्मान के स्तर को कम करने में मदद मिलती है जो कि शरीर में वसा को एकत्रित करने में मदद करता है।

लहसुन
वसा को कम करने में लहसुन भी एक लाभकारी पदार्थ है। इसके अलावा खाने को सही तरह से जल्दी पचाने में भी लहसुन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही यह इंसुलिन का स्तर कम करने और मेटाबालिज्म रेट बढ़ाने में भी मददगार है।

अदरक
खाने में स्वाद बढ़ाने वाली अदरक को वसा कम करने में उपयोगी माना जाता है।

ग्रीनटी
एंटीआक्सीडेंट्स से भरपूर ग्रीन टी वसा का लेवल कम करने में सहायक है। यह मेटाबालिज्म रेट बढ़ाने में 30 फीसदी अधिक मदद करती है।

मसाले
हालांकि मसालेदार पकवान खाने से वजन बढ़ता है, लेकिन उबले हुए भोजन में हल्के मसालों का उपयोग किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर में मौजूद वसा को कम किया जा सकता है।

जैतून का तेल
आलिव आयल शरीर में मौजूद अधिक कालेस्ट्राल की मात्रा को कम करने में लाभकारी है। यदि आप अपने खाने को पकाने में जैतून के तेल का इस्तेमाल करें तो आपको वजन कम करने में बहुत मदद मिलेगी।

लो फैट डेयरी प्रोडक्ट
फुल क्रीम दूध के बजाय टोंड दूध से बने खाद्य उत्पाद जैसे पनीर दही इत्यादि का सेवन करने में शरीर में जीम अतिरिक्त वसा को कम किया जा सकता है।

इलायची
इसका उपयोग कई चीजों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता हैं। वास्तव में ये एक औषधी है और इसका सेवन ठीक तरह से करने से अतिरिक्त चर्बी को कम किया जा सकता है।

इसके अलावा पानी और अन्य तरल पदार्थ शहद सोयाबीन फिश आयल नट्स सेब केला टमाटर इत्यादि के सेवन से भी शरीर में मौजूद वसा को कम किया जा सकता है।


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How lose belly fat in hindi

पेट की चर्बी कैसे कम करें

 


•  पेट की चर्बी कम करने के लिए साइक्लिंग करना फायदेमंद है।
•  टहलना सेहत के लिए फायदेमंद है।
•  नाशते में पौष्टिक आहार का सेवन करें।
•  लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का प्रयोग करें।


असंतुलित खाने के बढ़ते प्रचलन के कारण आज हर दूसरा व्यक्ति मोटापे से परेशान है। खाने के शौकीन लोगों के लिए तो आहार पर कंट्रोल करना और भी मुश्किल है। आहार पर नियंत्रण का मतलब यह नहीं है कि आप डायटिंग करें। डायटिंग से शरीर को जरूरी उर्जा नहीं मिल पाती है।

शरीर पर अधिक चर्बी बढ़ने से पेट बाहर निकल आता है और हाथ-पैर, गर्दन, कमर इत्यादि जगहों पर भी चर्बी जमा हो जाती है। जिससे शरीर बेडौल होने लगता हैं बहुत कम लोग ऐसे हैं जो वसा से दूर रह पाते हैं। यानी लोग मिठाईयों, तले पदार्थों और स्नैक्स इत्यादि को आसानी से नहीं छोड़ पाते। आइए जानें पेट की चर्बी कैसे कम की जा सकती हैं।

•  सबसे पहले तो ध्यान रखने वाली बात यह है कि खाना खाने के तुरंत बाद पानी न पीयें, बल्कि खाने के एक से डेढ़ घंटे के अंतराल पर पानी पीयें।
•  भोजन जब भी करें संयमित करें यानी भूख से थोड़ा कम ही खांए।
•  भोजन में तैलीय पदार्थों और मीठे के बजाय साग, सब्जी, सलाद और फलों को शामिल करें।
•  खाने में चावल, आलू और घी का प्रयोग कम से कम करें।
•  सप्ताह में कम से कम एक दिन सिर्फ तरल पदार्थों को पीने का नियम बांध लें या फिर दूध और फल ही खाएं।
•  प्रतिदिन व्यायाम, एक्ससरसाइज और योगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।
•  पूरे दिन में दो-तीन बार कम से कम 30 मिनट तक टहलें।
•  गेहूं की चपाती छोड़ चने, जौ इत्यादि से मिले आटे की चपाती खाना आरंभ कर दें। साथ ही नाश्ते में जूस और स्प्राउट्स को शामिल कर सकते हैं।
•  सुबह-सुबह खाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और और नींबू घोलकर पीएं।
•  भोजन को हमेशा धीरे-धीरे और चबाकर खाएं।
•  पूरे दिन में कम से कम 12-13 गिलास पानी पींए और अपनी नींद पूरी करें।
•  पेट की चर्बी कम करने के लिए आपको नमक की मात्रा भी घटानी होगी और तनाव से दूर रहना होगा।
•  डांस करने से भी वजन और पेट कम होगा। किसी भी मनपसंद गाने पर 45 मिनट तक डांस करें और फिर देखें आपको कितना लाभ मिलता है।
•  रोजाना 10 से 15 सीढियां चढ़ने से आपकी पेट की चर्बी दूर होगी।
•  साइकलिंग करने से भी पेट की चर्बी कम होगी और पैरों की मांसपेशियां मजबूत होंगी।

अपनी जीवनशैली को सुधार कर, नियमित खाने में वसा कम कर आप आसानी से अपने पेट के आसपास की चर्बी को खत्मक कर सकते हैं।

वजन घटाने के लिए टहलना

टहलना वजन घटाने के लिए लाभकारी हो सकता है क्योंकि टहलने से हृदय गति सामान्य रहती है। लेकिन इसके लिए आपको दिन में कम से कम 45 से 1 घंटे टहलना जरूरी है। अगर आप प्रभावी रूप से वजन घटाने चाहते हैं तो आपको इसके अलावा अतिरिक्त व्यायाम भी करने होंगे।

सुबह की ताजी ठंडी हवा तंत्रिकाओं को सुकून का अहसास कराती हैं। मार्निंग वाक ना सिर्फ स्वास्थ्य समस्याओं में लाभदायक है बल्कि इससे वजन घटाने में भी मदद मिलती है। व्यस्त जीवन का मानसिक तनाव से करीबी रिश्ता है। इस तनाव को कम करने का बेहतर उपाय भी सुबह की सैर है। देर रात तक काम करने वालों के लिए सुबह उठना जरा मुश्किल होता है। ऐसे लोग शाम को टहलने जा सकते हैं। टहलते समय पैरों की मांसपेशियों का खासा व्यायाम हो जाता है।आइए जानें वजन घटाने के लिए टहलना कितना जरूरी हैं और कैसे?

•  वजन कम करने के लिए प्रतिदिन कम से कम बीस मिनट तेज गति से चलना चाहिए।
•  टहलने के अलावा सप्ताह में कम से कम तीन दिन एरोबिक या अन्य शारीरिक क्रियाएं करें जिससे आप फिट रह सकें।
•  वजन कम करने के लिए कम से कम 8 से 10 महीने प्रतिदिन टहलने पर ही आप अपने वजन पर नियं‍त्रित कर पाएंगे।
•  टहलने से आप अपनी दिनभर की थकान मिटा सकते है और तरोताजा रह सकते हैं।
•  टहलने से वजन घटाने के साथ ही आप डिनर और लंच के बाद की एक्ट्रा कैलोरी को आराम से बर्न कर सकते हैं।
•  टहलना न सिर्फ एक व्यायाम है बल्कि यह दिमाग को भी तरोताजा रखता है।
•  दौड़ना या टहलना एक ही बात है लेकिन बहुत से लोग दौड़ के दौरान जल्दी थक जाते हैं जबकि टहलने के दौरान जल्दी थकान नहीं होती, जिससे आपको वजन नियंत्रित करने में भी आसानी होती है।
•  जरूरी नहीं कि आप सुबह-सुबह या फिर रात को टहलें आप दिन के समय में भी यानी लंच के बाद भी थोड़ा समय निकालकर टहलेंगे तो यह आपके वजन को नियंत्रित करने में लाभकारी होगा।
•  वजन को कम करने के लिए आप टहलते-टहलते जॉगिंग भी कर सकते हैं और जॉगिंग करते-करते टहल भी सकते हैं, इससे आप बहुत देर तक थकोगे भी नहीं और आपके शरीर में रक्त का प्रवाह भी समान्य रहेगा। इससे आप कई बीमारियों से भी बच पाएंगे।
•  यदि आप प्रभावी रूप से वजन घटाना चाहते हैं तो आपको पूरे दिन में कम से कम तीन-चार बार टहलने की जरूरत है और खाने के बाद तो खासकर।
•  पेट की चर्बी कम करने के लिए या पेट के आसपास की चर्बी को कम करने के लिए आप टहलने के साथ-साथ ऐरोबिक्स क्रियाएं भी कर सकते हैं। लेकिन एरोबिक्स को खाली पेट करना अधिक लाभदायक होता है। इससे आप पाचन संबंधी समस्याओं से भी आसानी से निजात पा लेंगे।

अगर आप वजन घटाना चाहते हैं, तो इन टिप्सन  को अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें और उससे होने वाले फायदों का लाभ उठाएं।

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Lose weight by eating the right foods in hindi


वजन घटाने के लिए उपयुक्त आहार

बढ़ते वजन को काबू करने के लिए सिर्फ व्यायाम ही नहीं सही आहार का चुनाव करना भी जरूरी है। आहार में मौजूद फाइबर, प्रोटीन आदि की मदद से वजन घटाना आसान हो जाता है

वजन घटाने के लिए तरल पदार्थ लेना भी जरूरी है।
हर रोज नाशते में अंडे लेना फायदेमंद है।
विटामिन सी और फाइबर वजन घटाने के लिए जरूरी माने जाते हैं।
उच्च कैलोरी वाले पदार्थों का सेवन कम करें।

वजन घटाने के कार्यक्रम में आपके आहार का खासा महत्व होता है। आपके आहार में मौजूद कैलोरी किस प्रकार आपका वजन बढ़ा रही है, इसकी सही जानकारी आपको होनी चाहिए। केवल व्यायाम के जरिए वजन घटाना अधिक चुनौतीपूर्ण है। आहार और व्यायाम का सही मेल ही आपको वजन कम करने में मदद कर सकता है। खाने में मौजूद कैलोरी और वसा का अगर सही उपभोग न हो, तो आपका वजन बढ़ सकता है। हम दिन भर जो भी खाते-पीते हैं, उससे हमें जो कैलोरीज मिलती हैं। हमारे सही प्रकार से काम करते रहने के लिए कैलोरीज
का होना बहुत जरूरी है। समस्या तब होती है, जब इनकी मात्रा हमारी जरूरत और खपत से अधिक हो जाती है। आवश्यकता से अधिक कैलोरी शरीर में जमा होकर वसा का रूप धारण कर लेती है। इसी अतिरिक्त कैलोरी से बचने के लिए हमें सही आहार का चुनाव करना जरूरी है। यह आहार ऐसा होना चाहिए जो हमें जरूरी पोषण भी दे। आइए जानें सही आहार की मदद से कैसे घटाएं वजन

ब्लैक बीन्स
ब्लैक बीन्स सेहत के लिहाज से बहुत ही अच्छी होती है। इसमें मौजूद प्रोटीन आपको ऊर्जा तो देता है, लेकिन साथ ही वजन घटाने में भी मदद करता है। आप चाहें तो ब्लैक बीन्स का सूप भी बना सकते हैं।

अखरोट और ओट्स
इसमें मौजूद ओमेगा-3 की भरपूर मात्रा आपको हेल्दी बनाए रखने में मदद करती है। ओट्स में मौजूद फाइबर लंबे समय तक आपका पेट भरा रखता है, जिससे आपकी पाचन क्रिया भी अच्छी रहती है साथ ही आपको वजन कम करने में भी मदद मिलती है।

सफेद बीन सूप
सफेद बीन सूप वजन कम करने वाले डाइट का अहम हिस्सा है। इसमें शुगर, फैट और सोडियम काफी कम मात्रा में पाया जाता है। यह पौष्टिकता और स्वाद का अच्छा मेल होता है। इसे तैयार करना भी बहुत आसान है और इसमें बड़ी मात्रा में प्रोटीन भी पाया जाता है।

ग्वार की फली
इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल शरीर की चर्बी को कम करने में मददगार साबित होता है। इसकी सब्जी काफी स्वादिष्ट होती है।

ब्रोकली
शारीरिक रूप से फिट और वजन घटाने के लिए ब्रोकली का सेवन अवश्य करना चाहिए। ब्रोकली में विटामिन सी भरपूर मात्रा में होती है जो मांसपेशियों को मजबूत बनाती है। इसमें मौजूद फाइबर से मेटाबॉल्जिम में सुधार होता है जिससे वजन भी कम होता है।

अंडे का सफेद हिस्सा
अंडे में मौजूद अमीनो एसिड शरीर को मजबूत बनाते हैं। हर रोज नाशते में इसेक सेवन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके अलावा, अंडे में विटामिन, एसिड और अन्य पोषक तत्व भी होते है। अंडे में सफेद हिस्से में वसा नहीं होता है जिससे बॉडी में फैट नहीं बढ़ता है।

तरल पदार्थ लें
आप चाहें तो भोजन के पहले या बाद में छाछ, लस्सी, दही व फ्रूट जूस का सेवन कर सकते हैं। दही, छाछ व ताजे फलों का रस आपके शरीर के लिए गुणकारी होता है। खट्टे फलों में नींबू का रस वजन कम करने में सहायक होता है।

स्प्राउट
इसमें फाइबर की काफी मात्रा में होता है। इसके सेवन से वजन कम करने में मदद मिलती है और पाचन प्रक्रिया भी अच्छी हो जाती है। फाइबर, शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करते है और अतिरिक्त वसा भी कम करते है।

वजन घटाने के लिए सही आहार लेना उतना ही जरूरी है जितना व्यायाम। किसी भी आहार का चुनाव करने से पहले उस पर लिखे इंग्रीडेंट्स पढ़ना ना भूलें।

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Abs workout reduce tummy belly in hindi

वर्कआउट के लिए कोड



एब्‍स पैक बनाने के लिए आप घंटों जिम में पसीना बहाते हैं, लेकिन क्‍या आपको पता है कि यदि सही तरीके से वर्कआउट किया जाये तो आप आसानी से घर पर ही एब्‍स पैक बना सकते हैं।

सिट-अप्‍स


एब्‍स के लिए वर्कआउट की शुरूआत इससे करें। 10 सिट-अप के तीन सेट मारिये और सिट-अप के बीच में आप 2 मिनट तक आराम भी कर सकते हैं। शुरूआत में सिट-अप्‍स के 3 सेट कीजिए उसके बाद इसे बढ़ा दीजिए।

रिवर्स क्रंचेज


इसके भी 10 सेट कीजिए, और पहले चरण में इसके केवल 3 सेट कीजिए। बाद में अपनी क्षमता के अनुसार इसे बढ़ा सकते हैं। लेकिन रिवर्स क्रंचेज के बीच में 2 मिनट का आराम करना न भूलें।



सिटिंग ट्विस्‍ट


इसके 10 सेट कीजिए, लेकिन इसे दायें और बायें दोनों तरफ कीजिए। इसे दायें-बायें बदलकर करें, यानी पहला प्रयास यदि दायें तरफ कर रहे हैं तो दूसरा बायें तरफ कीजिए। शुरूआत में इसके 3 सेट कीजिए, और फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाइए।


सिसर्स


इसके 8 सेट कीजिए। इसमें दोनों पैरों को कैंची की तरह चलाना होता है। शुरूआत में इसके 3 सेट कीजिए और फिर धीरे-धीरे इसे बढ़ाइए। लेकिन हर सेट के बीच में 1-2 मिनट का ब्रेक जरूर लीजिए।

लेग रेजेज



इसमें पैरों को उठाना होता है। दोनों पैरों को सटाकर ऊपर की तरफ उठाइए, इस सेट को 8 बार कीजिए और शुरूआत में इसके 3 सेट कीजिए।

फ्लटर किक्‍स


फ्लटर किक्‍स के 20 सेट कीजिए। इसे करने के लिए सीधे लेट जाइए और एक-एक पैर को ऊपर की तरफ उठाइए। शुरूआत में इसके 3 सेट कीजिए बाद में इसे बढ़ा दीजिए।


प्‍लैंक


प्‍लैंक को लगातार 30 सेकेंड तक कीजिए, इसके प्रत्‍येक सेट में 1-2 मिनट का ब्रेक लीजिए और शुरूआत में इसके 3 सेट्स कीजिए। प्‍लैंक हाथों के पंजों के सहारे कीजिए।


एल्‍बो प्‍लैंक


सामान्‍य प्‍लैंक की तरह एल्‍बो प्‍लैंक कीजिए, इसमें पंजे की जगह शरीर का भर घुटनों पर होता है। इसे भी 30 सेकेंड तक कीजिए। शुरूआत में इसके 3 सेट्स करें, धीरे-धीरे इसे बढ़ाते रहें।

एब्‍स बनाना मुश्किल नहीं


इन वर्कआउट के पहले चरण में 3 सेट कीजिए, दूसरे चरण में 5 सेट और तीसरे चरण में 7 सेट कीजिए। इन सेट्स के बीच में 1-2 मिनट का ब्रेक जरूर लीजिए। यदि

आपने वर्कआउट के इन नियमों गंभीर रूप से पालन किया तो एब्‍स बनाना आपके लिए कोई मुश्किल काम नहीं होगा। इस वर्कआउट के साथ-साथ अपने खानपान पर भी ध्‍यान दीजिए।


बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल से कैसे निपटें

बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल से कैसे निपटें

बढ़ते हुए कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए जंकफूड और अधिक वसा वाला भोजन ना करें। इसके साथ ही अपनी दिनचर्या में सुधार करें। दिन की शुरुआत व्यायाम और हेल्दी नाशते के साथ करनी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल लिवर द्वारा उत्पन्न की जाने वाली वसा होती है। हमारा शरीर सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए कोलेस्‍ट्रॉल का होना जरूरी है। शरीर की हर कोशिका के जीवन के लिए कोलेस्‍ट्रॉल का होना आवश्‍यक है।

ब्लड प्लाज्मा के जरिये शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचने वाले कोलेस्‍ट्रॉल यह नाम सुनते ही जेहन में घबराहट होने लगती है। और ऐसा होना गलत भी नहीं। रक्‍त में कोलेस्‍ट्रॉल की अधिक मात्रा शरीर को तमाम प्रकार की बीमारियां दे सकती है। तभी तो विशेषज्ञ 20 वर्ष की आयु से ऊपर के हर व्‍यस्‍क को हर पांच साल में एक बार कोलेस्‍ट्रॉल की जांच करवाने की सलाह देते हैं।

ऐसा नहीं है कि कोलेस्‍ट्रॉल हमारे शरीर के लिए केवल बुरा ही होता है। दरअसल, यह दो प्रकार का होता है। एलडीएल (लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन) और एचडीएल (हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन)। एलडीएल को ही बैड कोलेस्‍ट्रॉल कहा जाता है। क्‍योंकि यह घुलनशील नहीं होता, इसलिए अगर यह जरूरत से ज्‍यादा हो जाए, तो यह रक्‍त वाहिनियों में जमा होने लगता है। नतीजतन रक्‍त प्रवाह बाधित होने लगता है। यानी शरीर के सभी अवयवों और अंगों में रक्‍त पहुंचाने के लिए दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसका असर दिल की कार्यक्षमता पर पड़ता है। ऐसे में ही आपको दिल की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।

एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है। यह बैड कोलेस्‍ट्रॉल को रक्‍तवाहिनियों से हटाने में भी मदद करता है। कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक से भी आपकी रक्षा करता है। एचडीएल, बैड कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से वापस लिवर में ले जाता है। लिवर में यह बैड कोलेस्‍ट्रॉल या तो यह टूट जाता है या अपशिष्‍ट पदार्थों के साथ शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।

कोलेस्ट्रॉल का सामान्य स्तर

इनसान की सेहत कैसी होगी, यह बात काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उसके रक्‍त में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा कितनी है। रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर 3.6 मिलिमोल्स प्रति लिटर से 7.8 मिलिमोल्स प्रति लिटर के बीच होता है। 6 मिलिमोल्स प्रति लिटर कोलेस्ट्रॉल को उच्च कोलेस्‍ट्रॉल की श्रेणी में रखा जाता है। इन हालात में धमनियों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 7.8 मिलिमोल्स प्रति लीटर से ज्यादा कोलेस्ट्रॉल को अत्यधिक उच्च कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। आप इस स्थिति में कभी नहीं पहुंचना चाहेंगे। इन हालात में आपको दिल का दौरा पड़ने और स्‍ट्रोक का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।

क्‍या करता है कोलेस्ट्रॉल

कोलेस्ट्रॉल रक्त का महत्वपूर्ण हिस्‍सा है। शरीर के लिए फायदेमंद कई हॉर्मोंस का स्राव करने और उन्‍हें नियंत्रित करने में कोलेस्‍ट्रॉल की अहम भूमिका होती है। अधिक कोलेस्‍ट्रॉल के नुकसान तो हम जानते ही हैं, लेकिन शरीर में कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा कम होना भी सही नहीं होता। जिन लोगों में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर सामान्‍य से कम होता है, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सही प्रकार काम नहीं कर पाती। ऐसे लोगों को संक्रमण का खतरा काफी अधिक होता है।

शरीर में मौजूद बैक्टीरिया जिन विषैले पदार्थों का उत्‍सर्जन करते हैं, कोलेस्‍ट्रॉल उन्‍हें सोखकर शरीर को स्‍वस्‍थ बनाये रखने में मदद करता है। इतना ही नहीं, हमारा दिमाग सही प्रकार से काम करता रहे, इसके लिए भी जरूरी है कि रक्‍त में कोलेस्‍ट्रॉल का सामान्‍य स्‍तर बना रहे। अल्जाइमर्स यानी भूलने की बीमारी से पीडि़त लोगों के मस्तिष्‍क में कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर सामान्‍य से अधिक पाया गया।

सूरज की किरणें विटामिन डी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। और सूर्य की इन्‍हीें किरणों को विटामिन डी में बदलने में कोलेस्‍ट्रॉल की अहम भूमिका होती है। ऐसे विटामिन जो रक्‍त में आसानी से घुल जाते हैं, जैसे विटामिन ए, डी, के और ई के मेटाबॉलिज्म के लिए भी यह कोलेस्ट्रॉल आवश्‍यक माना जाता है।

बढ़ते कोलेस्ट्रॉल को कैसे रोकें

मोटापा कम करें

कोलेस्‍ट्रॉल के बढ़ने में मोटापा अहम भूमिका निभाता है। आपका वजन अगर सामान्‍य से थोड़ा भी ज्‍यादा है, तो आपको उच्‍च कोलेस्‍ट्रॉल होने का खतरा हो सकता है। इसलिए, हाई कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करने के लिए अपने वजन को नियमित रखना जरूरी है। मोटाप कम करने के लिए आपको व्‍यायाम और आहार दोनों का सहारा लेना पड़ेगा। इसके साथ ही आपको मोटापे से निजात पाने के लिए दृढ़ इच्‍छा शक्ति की भी जरूरत होती है, ताकि आप अपने प्रयासों में कामयाब हो सकें। मोटापा न केवल कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को बढ़ाकर आपके दिल को बीमार कर सकता है, बल्कि साथ ही यह आपको उच्‍च रक्‍तचाप, मधुमेह और अन्‍य कई प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍यगत बीमारियां दे सकता है।

व्यायाम करें

भले ही आपका वजन अधिक न हो, लेकिन शारीरिक व्‍यायाम को अपनी आदत बना लेना आपके लिए हमेशा फायदेमंद रहेगा। व्‍यायाम से शरीर में रक्‍त-संचार सुचारू बना रहता है, जिससे हृदय के स्‍वास्‍थ्‍य को भी लाभ होता है। व्‍यायाम में आप अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से व्‍यायाम चुन सकते हैं। उच्‍च कोलेस्‍ट्रॉल को काबू में करने के लिए आपको सप्‍ताह में कम से कम पांच दिन शारीरिक व्‍यायाम जरूर करना चाहिए।

आप जिम, साइक्लिंग, जॉगिंग, स्विमिंग और एरोबिक्‍स जैसे व्‍यायाम कर सकते हैं। रोजाना 30 मिनट व्‍यायाम के लिए जरूर निकालें। अगर आप भारी व्‍यायाम नहीं कर सकते हैं, तो फिर रोज 45 से 60 मिनट तक पैदल चलें। एक साथ व्‍यायाम के लिए समय न भी तो दिन में 10-10 मिनट तीन बार व्‍यायाम के लिए तो निकाले ही जा सकते हैं। घर और दफ्तर की सीढि़यां चढ़ना, मार्केट तक पैदल जाना, लंच के बाद थोड़ी देर टहलना। ये सब छोटे-छोटे कदम भी आपके दिल की धड़कनों को सुचारु बनाये रखने में मदद करते हैं। हां, अगर आप हृदय समस्‍याओं से जूझ रहे हैं, तो जरूरी है कि डॉक्‍टर की सलाह के बिना व्‍यायाम न करें। कई भारी व्‍यायाम आपके दिल की सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ट्रांस फैट को छोड़ें

आपका आहार ही आपकी सेहत बनाता है। यदि आप स्‍वस्‍थ आहार खाएंगे, तो आपकी सेहत भी सही रहेगी और यदि आप आहार को लेकर लापरवाही बरतेंगे, तो इसका असर खामियाजा आपकी सेहत को ही उठाना पड़ेगा। अंडे का पीला भाग, फ्राइड फूड, वसा वाला दूध और उससे बने उत्‍पाद और फैटी मीट आदि में अत्‍यधिक मात्रा में वसा होती है, जो आपके दिल को बीमार कर सकती है। यह वसा आसानी से धमनियों में जम जाती है, जिससे बेचारे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। अधिक चिकनाईयुक्‍त भोजन और जंक फूड रक्‍त में खराब कोलेस्‍ट्रॉल को बढा सकते हैं। अगर आप स्‍वयं अपने लिए उपयुक्‍त आहार योजना बना पाने में असमर्थ महसूस कर रहे हों, तो आप किसी विशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।

दवायें

अगर आप दवाओं के जरिये कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर कम करने का विचार कर रहे हैं, तो इसके लिए आपके पास ढेरों विकल्‍प मौजूद हैं। लेकिन, केवल दवाओं के भरोसे ही कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर कम नहीं किया जा सकता। आपको अपनी रोजमर्रा की आदतों में बदलाव तो लाना ही पड़ेगा। इससे दो लाभ होंगे, एक तो दवाओं पर आपकी निर्भरता घटेगी और साथ ही आपको हृदय संबंधी रोग होने की आशंका भी कम होगी। हालांकि, अच्‍छा यही है कि आप दवाओं का सेवन करने से पहले डॉक्‍टर से सलाह जरूर लें।

कोलेस्ट्रॉल टेस्ट को जानें

कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट में रक्त में एचडीएल और एलडीएल दोनों का स्तर जांचा जाता है। 20 साल की उम्र में पहली बार कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना अच्‍छा रहता है। इसके बाद हर पांच साल में एक बार यह टेस्ट करवाने से आप कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर पर नजर रख सकते हैं। हालांकि, इसके बाद आपको कितने समय बाद जांच करवानी यह जांच के स्‍तर पर निर्भर करता है। अगर रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से अधिक है या आपके परिवार में दिल की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास रहा है तो डॉक्टर हर 2 या 6 माह में जांच कराने की सलाह दे सकते हैं।
याद रखिए दिल की बीमारियों की बड़ी वजह कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर सामान्‍य से अधिक होना है, तो बेहतर यही है कि इसे खतरनाक स्‍तर तक न जाने दिया जाए। जरूरी देखभाल और कुछ सावधानियां बरतकर आप स्‍वयं को दिल की बीमारियों से बचा सकते हैं।

चीजें जो घटाती हैं कोलेस्‍ट्रॉल

कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या हृदय रोग सहित कई गंभीर बीमारियों को जन्‍म देती है। पर खानपान की स्‍वस्‍थ आदतों को अपनाकर इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। कोलेस्‍ट्रॉल बढ़ने की समस्‍या के बारे में करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर कोलेस्‍ट्रॉल है क्‍या।

क्‍या है कोलेस्‍ट्रॉल
कोलेस्‍ट्रॉल एक तरह का वसायुक्‍त तत्‍व है, जिसका उत्‍पादन लिवर करता है। यह कोशिकाओं की दीवारों, नर्वस सिस्‍टम के सुरक्षा कवच और हार्मोंस के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। यह प्रोटीन के साथ मिलकर लिपोप्रोटीन बनाता है, जो फैट को खून में घुलने से रोकता है। हमारे शरीर में दो तरह के कोलेस्‍ट्रॉल होते हैं- एचडीएल (हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, अच्‍छा प्रोटीन) और एलडीएल (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, बैड कोलेस्‍ट्रॉल)।

कोलेस्‍ट्रॉल के प्रकार

एचडीएल यानी अच्‍छा कोलेस्‍ट्रॉल काफी हल्‍का होता है और रक्‍तवाहिनियों में जमे फैट को अपने साथ बहाकर ले जाता है। बुरा कोलेस्‍ट्रॉल यानी एलडीएल ज्‍यादा चिपचिपा और गाढ़ा होता है। अगर इसकी मात्रा अधिक हो तो यह रक्‍तवाहिनियों और धमनियों की दीवारों पर जम जाता है, जिससे खून के बहाव में रुकावट आती है। इसके बढ़ने से हार्ट अटैक, हाई ब्‍लडप्रेशर और मोटापे जैसी समस्‍यायें हो सकती हैं।

ड्राई फ्रूट्स

बादाम, अखरोट और पिस्‍ते में पाया जाने वाला फाइबर, ओमगा-3 फैटी एसिड और अन्‍य विटामिन बुरे कोलेस्‍ट्रॉल को घटाने और अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनमें मौजूद फाइबर देर तक पेट भरे होने का अहसास कराता है। इससे व्‍यक्ति नुकसानदेह फैटयुक्‍त स्‍नैक्‍स के सेवन से बचा रहता है।

लहसुन

लहसुन में कई ऐसे एंजाइम पाए जाते हैं जो एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को कम करने में मददगार साबित होते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा कराये गए शोध के अनुसार लहसुन के नियमित सेवन से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर 9 से 15 फीसदी तक बढ़ सकता है। इसके अलावा यह हाई ब्‍लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है।

ओट्स

ओट्स में मौजूद बीटा ग्‍लूकोन नाम गाढ़ा चिपचिपा तत्‍व हमारी आंखों की सफाई करते हुए कब्‍ज की समस्‍या को दूर करता है। इसकी वजह से शरीर में बुरे कोलेस्‍ट्रॉल का अवशोषण नहीं हो पाता। वैज्ञानिकों द्वारा किये गए अध्‍ययनों से यह साबित हो चुका है कि अगर तीन महीनों तक लगातार ओट्स का सेवन किया जाए, तो इससे कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में पांच फीसदी तक की कमी लायी जा सकती है।

सोयाबीन और दालें

सोयाबीन, दालें और अंकुरित अनाज खून में से एलडीएल कोलेस्‍ट्रॉल को बाहर निकालने में मदद करते हैं। ये चीजें अच्‍छे कोलेस्‍ट्रॉल को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं।

नींबू

नींबू सहित सभी खट्टे फलों में कुछ ऐसे घुलनशील फाइबर होते हैं, जो खाने की थैली में बैड कोलेस्‍ट्रॉल को रक्‍त प्रवाह में जाने से रोक देते हैं। ऐसे फलों में मौजूद विटामिन सी रक्‍तवाहिका नलियों की सफाई करता है। इस तरह बैड कोलेस्‍ट्रॉल पाचन तंत्र के जरिये शरीर से बाहर निकल जाता है। खट्टे फलों में ऐसे एंजाइम्‍स पाए जाते हैं, जो मेटाबॉलिज्‍म की प्रक्रिया को तेज करके कोलेस्‍ट्रॉल घटाने में सहायक होते हैं।

लाल प्‍याज

हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, लाल प्याज शरीर से खराब कोलेस्ट्राल निकालने में मदद करता है। कोलेस्ट्राल के कारण ही दिल का दौरा और मस्तिष्क स्राव होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार लाल प्याज शरीर में अच्छे कोलेस्ट्राल को बरकरार रखता है जिससे दिल की बीमारियों से सुरक्षा मिलती है।

सेब

प्रोटीन और विटामिन से भरपूर सेब कोलेस्ट्रॉल घटा कर रक्तचाप को सामान्य बनाए रखता है इसलिए इसे सेहत का खजाना कहा जाता है। सेब में पेक्टिन के घुलनशील रेशे होते हैं, जो रक्त में कोलेस्ट्राल का स्तर घटाते हैं और शरीर के लिए बैक्टीरिया रोधी एजेंट की भूमिका निभाते हैं।

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल क्या होता है

एलडीएल कोलेस्ट्रोल को बैड कोलेस्ट्रोल भी कहते हैं। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए बुरा होता है। इस लेख को पढ़ें और एलडीएल तथा इसके नियंत्रण के बारे में जानें।

रक्त में वसा के प्रोटीन कॉम्प्लेक्स को लिपो-प्रोटीन कहते हैं। लिपो-प्रोटीन के दो प्रमुख प्रकार एलडीएल (कम घनत्व लेपोप्रोटीन) और एचडीएल (उच्च घनत्व लेपोप्रोटीन) होते हैं। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को खराब (बैड) कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। कोलेस्ट्रॉल रक्त में घुलनशील नहीं होता। एलडीएल के धमनियों की दीवारों में जमा होने से धमनियों में रुकावट होती है, और आगे चल कर यह हृदय के दौरे का कारण बनता है।

कम घनत्व लिपोप्रोटीन (लो डेनसिटी लिपोप्रोटीन्स) कोलेस्ट्रॉल को सबसे ज्यादा नुकसानदेह माना जाता है। यह लिवर द्वारा पैदा किया जाता है, जो वसा को लिवर से शरीर के अन्य भागों जैसे मांसपेशियों, ऊतकों, इंद्रियों और हृदय तक पहुंचाता है। यह बहुत आवश्यक है कि शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम रहे। इसके अधिक होने की स्थिति में यह रक्तनली की दीवारों पर यह जमना शुरू हो जाता है और कभी-कभी नली के छिद्र बंद हो जाते हैं। ऐसे में हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। राष्ट्रीय कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण कार्यक्रम के अनुसार शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर सौ मिली ग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। यदि शरीर में एलडीएल (बुरा) कोलेस्ट्रॉल अत्यधिक होता है, तो यह धीरे-धीरे हृदय तथा दिमाग को रक्त प्रवाह करने वाली धमनियों की भीतरी की दीवारों में जमा हो जाता है। यदि एक थक्का(क्लॉट) जमकर संकरी हो चुकी धमनी में रुकावट डाल देता है, तो इससे हृदयाघात या स्ट्रोक हो सकता है।

अपने एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की जांच कराने से, अपके हृदय रोग के जोखिम के बारे में पता करने में मदद मिलती है। अगर आपका एलडीएल कोलेस्ट्रॉल उच्च है, तो समय पर और सही इलाज, दिल के दौरा होने की संभावना को कम कर सकता है।

एलडीएल और कोलेस्ट्रॉल

आपके शरीर में एलडीएल हमेशा होना चाहिए, लेकिन जब इसकी मात्रा अधिक दो जाती है तो समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इस प्रकार का कोलेस्ट्रॉल अपकी धमनियों की भीतरी दीवारों पर जम सकता है। और समय के साथ एक प्लेक (पट्टिका) नामक पदार्थ बना सकते हैं जो धमनी की दीवारों जमा हो जाता है और उन्हें संकरा और कम लचीला बना देता है। यह स्थिति खतरनाक होती है, क्योंकि रक्त इन्ही धमनियों के माध्यम से हृदय व दिमाग तक पहुंचता है।

जब आपके शरीर में एलडीएल अधिक हो जाता है तो दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा भी अधिक हो जाता है। जब प्लेक धमनी की दीवारों पर जमा हो जाता है तो वहां रक्त के थक्के बनने के लिए अनुकूल स्थिति बन जाती है। इसी कारण से दिल के दौरे और स्ट्रोक होते हैं। यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपका हार्ट अटैक का कोई अतीत रहा है या फिर अगर आपको उपापचयी सिंड्रोम या मधुमेह है, तो आपको सबसे ज्यादा खतरा होता है।

एलडीएल का स्तर कुछ हद तक हृदय रोग के अपके जोखिम कारकों पर भी निर्भर कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपको मधुमेह है तो अपके एलडीएल का इष्टतम स्तर, उस व्यक्ति से कम होगा जिसे मधुमेह नहीं है। यदि आप अधिक जोखिम पर हैं तो अपके एलडीएल का इष्टतम स्तर एक लिटर का दशमांश का 100 मिलीग्राम होगा। (लिवस्ट्रोग नामक पोर्टस के अनुसार)

कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए कई तरह के खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना चाहिए। केवल कुछ चुनिंदा खाद्य पदार्थों के खाने भर से कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी नहीं होती। नियमित कसरत को भी जीवनशैली में शामिल करना चाहिये। एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग तीन ग्राम बीटा ग्लूकॉन की जरूरत होती है। अगर रोजाना एक कटोरी ओट्स या दो स्लाइस ओट्स ब्रेड का सेवन किया जाए तो हमारे शरीर को पर्याप्त मात्रा में बीटा ग्लूकॉन मिल जाता है। इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स, लहसुन, ओट्स, सोयाबीन और दालें, नीबू तथा ऑलिव ऑयल का संतुलित मात्रा में सेवल करना चाहिए।

 

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